Hindi, asked by manavkingrawat, 5 months ago

kaksha mein naye shikshak ke aagman par rachnatmak lekh likhe​

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Answered by prathameshvedant
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Answer:

विषय : विद्यालय में आए नये शिक्षक के संबंध में

प्रिय मित्र शुभांकर

मधुर स्नेह।

अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। मैं तुम्हें स्वयं पत्र लिखना चाहता था। मैंने पिछले पत्र में तुम्हें लिखा था कि कुछ अध्यापकों की शिक्षण के प्रति उपेक्षा एवं उनकी चारित्रिक दुर्बलता को देखकर गुरु तथा शिष्य संबंधों के प्रति मेरे मन में एक प्रकार की अरुचि और विरक्ति अनुभव हो रही है। लेकिन मेरे नये शिक्षक जिनका गत मास विद्यालय में आगमन हुआ है, उनसे मिलकर मेरे विचारों में पुनः इस रिश्ते के प्रति एक दृढ़ विश्वास जाग्रत हुआ है।

तुम जानते हो कि राजकीय विद्यालयों में स्थानांतरण होता रहता है। हमारे पिछले जीव-विज्ञान के शिक्षक जिनके विषय में मैंने तुम्हें लिखा भी था, उनका स्थानांतरण आगरा हो गया है। उनके स्थान पर जो नये शिक्षक यहाँ पर आए हैं, उनका नाम नवीन सहाय है। उनकी कम आयु और सरल व्यक्तित्व को देखकर कक्षा के छात्रों ने उन्हें मूर्ख बनाने की सोची। किंतु उन्होंने कक्षा को अपने मृदु व्यवहार, तेजस्विता, आकर्षक व्यक्तित्व एवं तीव्र मेधा-शक्ति से इस प्रकार प्रभावित कर दिया कि प्रथम दिन ही हम उनके आकर्षण में बँध गए। इनका प्रथम अध्यापन इतना प्रभावशाली था कि छात्र मंत्रमुग्ध हो गए।

बाद में श्री नवीन सहाय के विषय में मुझे ज्ञात हुआ कि वे लखनऊ के रहने वाले हैं और एक सुसंस्कारी परिवार से उनका संबंध है। उन्होंने आर्थिक अभावों के बावजूद प्रत्येक कक्षा में सर्वोपरि अंक प्राप्त किए हैं। उन्हें सरकार द्वारा बराबर स्कॉलरशिप मिलती रही है। वे सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की तरह नहीं हैं।

श्री सहाय एक अच्छे शिक्षक होने के साथ-साथ बहुत अच्छे वक्ता और खिलाड़ी भी हैं। इसके अतिरिक्त अन्य पाठ्य सहगामी कार्यक्रमों में उनकी अभिरुचि देखकर आश्चर्य होता है कि वे कितने प्रतिभा संपन्न हैं। तुम्हारे यहाँ आने पर मैं तुम्हें उनसे अवश्य मिलवाऊँगा। शेष अगले पत्र में

तुम्हारा अभिन्न

Prathamesh

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Answered by kritikagarg6119
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विषय : विद्यालय में आए नये शिक्षक के संबंध में

प्रिय मित्र शुभांकर

मधुर स्नेह।

अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला। मैं तुम्हें स्वयं पत्र लिखना चाहता था। मैंने पिछले पत्र में तुम्हें लिखा था कि कुछ अध्यापकों की शिक्षण के प्रति उपेक्षा एवं उनकी चारित्रिक दुर्बलता को देखकर गुरु तथा शिष्य संबंधों के प्रति मेरे मन में एक प्रकार की अरुचि और विरक्ति अनुभव हो रही है। लेकिन मेरे नये शिक्षक जिनका गत मास विद्यालय में आगमन हुआ है, उनसे मिलकर मेरे विचारों में पुनः इस रिश्ते के प्रति एक दृढ़ विश्वास जाग्रत हुआ है।

तुम जानते हो कि राजकीय विद्यालयों में स्थानांतरण होता रहता है। हमारे पिछले जीव-विज्ञान के शिक्षक जिनके विषय में मैंने तुम्हें लिखा भी था, उनका स्थानांतरण आगरा हो गया है। उनके स्थान पर जो नये शिक्षक यहाँ पर आए हैं, उनका नाम नवीन सहाय है। उनकी कम आयु और सरल व्यक्तित्व को देखकर कक्षा के छात्रों ने उन्हें मूर्ख बनाने की सोची। किंतु उन्होंने कक्षा को अपने मृदु व्यवहार, तेजस्विता, आकर्षक व्यक्तित्व एवं तीव्र मेधा-शक्ति से इस प्रकार प्रभावित कर दिया कि प्रथम दिन ही हम उनके आकर्षण में बँध गए। इनका प्रथम अध्यापन इतना प्रभावशाली था कि छात्र मंत्रमुग्ध हो गए।

बाद में श्री नवीन सहाय के विषय में मुझे ज्ञात हुआ कि वे लखनऊ के रहने वाले हैं और एक सुसंस्कारी परिवार से उनका संबंध है। उन्होंने आर्थिक अभावों के बावजूद प्रत्येक कक्षा में सर्वोपरि अंक प्राप्त किए हैं। उन्हें सरकार द्वारा बराबर स्कॉलरशिप मिलती रही है। वे सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की तरह नहीं हैं।

श्री सहाय एक अच्छे शिक्षक होने के साथ-साथ बहुत अच्छे वक्ता और खिलाड़ी भी हैं। इसके अतिरिक्त अन्य पाठ्य सहगामी कार्यक्रमों में उनकी अभिरुचि देखकर आश्चर्य होता है कि वे कितने प्रतिभा संपन्न हैं। तुम्हारे यहाँ आने पर मैं तुम्हें उनसे अवश्य मिलवाऊँगा। शेष अगले पत्र में

तुम्हारा अभिन्न

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