कलेंडरों में विरुदावली के द्वारा किस प्रकार साम्य दिखाया जाता था?
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चीन यूनानी सभ्यता में 'कैलेंड्स' का अर्थ था-'चिल्लाना'। उन दिनों एक आदमी मुनादी पीटकर बताया करता था कि कल कौन-सी तिथि, त्योहार, व्रत आदि होगा। नील नदी में बाढ़ आएगी या वर्षा होगी। इस 'चिल्लाने' वाले के नाम पर ही- दैट हू कैलेंड्स इज 'कैलेंडर' शब्द बना। वैसे लैटिन भाषा में 'कैलेंड्स' का अर्थ हिसाब-किताब करने का दिन माना गया। उसी आधार पर दिनों, महीनों और वर्षों का हिसाब करने को 'कैलेंडर' कहा गया है।
एक समय था जब कैलेंडर नहीं थे। लोग अनुभव के आधार पर काम करते थे। उनका यह अनुभव प्राकृतिक कार्यों के बारे में था। वर्षा, सर्दी, गर्मी, पतझड़ आदि ही अलग-अलग काम करने के संकेत होते। धार्मिक, सामाजिक उत्सव और खेती के काम भी इन्हीं पर आधारित थे लेकिन इनके आधार पर समय का सही बंटवारा करना मुश्किल हो जाता। लोगों ने अनुभव किया कि दिन-रात का बंटवारा कभी गड़बड़ नहीं होता। इसी तरह रात में चंद्रमा दिखने का भी एक क्रम हैं।
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