कला का महत्त्व' विषय पर अपने विचार लिखिए।
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संसार के सभी जीवों में मनुष्य श्रेष्ठ है । उसके पास बुद्धि और विवेक के रूप में दो ऐसी नैसर्गिक शक्तियाँ हैं, जिनके कारण वह अन्य जीवों से ऊँचा उठ पाया है । आत्मरक्षा की प्रवृत्ति और प्रजनन क्षमता लगभग सभी जीवों में पाई जाती है और वे इनसे सन्तुष्ट हो जाते हैं, परन्तु मनुष्य केवल इससे ही सन्तुष्ट होकर नहीं रह जाता । सम्भवत: यही विचार कला के जन्म का मूल है ।
वास्तव में, ‘कला’ क्या है इसका सटीक उत्तर दे पाना सरल नहीं है । राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने कला के सन्दर्भ में अपना मत व्यक्त करते हुए कहा है- ”अभिव्यक्ति की कुशल शक्ति ही कला है। इटली के महान् विद्वान ने भी कला को अभिव्यक्ति का साधन मानते हुए कहा है- “कला का सम्बन्ध केवल स्वानुभूति से प्रेरित प्रक्रिया से है । जब कोई कलाकार स्वानुभूति को सहज, स्वाभाविक रूप से अभिव्यक्त कर देता है, तो वही कला का रूप धारण कर लेती है । अत: अभिव्यक्ति की पूर्णता ही कला है… अभिव्यक्ति ही उसका सौन्दर्य है ।”