कल-कल करते आज हाथ से निकले
सारे भूत भविष्य की चिंता में वर्तमान की बाजी मे हारे
हानि-लाभ के पलडो में तुलना जीवन का व्यापार
मोल लगा बिकने वाले का बिना बिका बेकार हो गया
भरी दुपहरी में अन्धियारा सूरज परछाई से हारा
हर पडाव को समझने में फिर लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्तमान के मोहजाल में,आने वाला कल ना भूलाएँ
माओ फिर से दीया जलाएँ।
कल-कल करते आज हाथ से निकले
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कल-कल करते आज हाथ से निकले
सारे भूत भविष्य की चिंता में वर्तमान की बाजी मे हारे
हानि-लाभ के पलडो में तुलना जीवन का व्यापार
मोल लगा बिकने वाले का बिना बिका बेकार हो गया
भरी दुपहरी में अन्धियारा सूरज परछाई से हारा
हर पडाव को समझने में फिर लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्तमान के मोहजाल में,आने वाला कल ना भूलाएँ
माओ फिर से दीया जलाएँ।
कल-कल करते आज हाथ से निकले
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