kal ke kitne bed hote hai udaran sahit bed bataiye vartaman kal ke kitne bed hote hai
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काल के तीन भेद होते हैं-
वर्तमान काल
भूतकाल
भविष्यत् काल
वर्तमान काल-
क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि काम अभी चल रहा है उसे वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे-
वह खेल रहा है।
राधा सो रही है।
मैं लिखती हूँ।
वर्तमान काल के तीन उपभेद होते हैं-
(क) सामान्य वर्तमान
(ख) अपूर्ण वर्तमान
(ग) संदिग्ध वर्तमान।
सामान्य वर्तमान- क्रिया के जिस रूप से उसका वर्तमान में होना ज्ञात हो वह सामान्य वर्तमान होता है
जैसे-
माँ अच्छा खाना बनाती है।
अतुल पढ़ता है।
अपूर्ण वर्तमान- क्रिया के जिस रूप से यह जाना जाए कि काम अभी चल रहा है उसे अपूर्ण वर्तमान कहते हैं।
जैसे-
मैं लिख रही हूँ।
तुम खेल रहे हो।
वह सो रही है।
संदिग्ध वर्तमान- क्रिया के जिस रूप से बीत रहे समय में किसी काम के होने में संदेह प्रकट हो उसे संदिग्ध वर्तमान कहते हैं।
जैसे-
राधा पढ़ रही होगी।
सीता गीत गा रही होगी।
अतुल सो रहा होगा।
भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय का बोध हो उसे भूतकाल कहते हैं।
जैसे-
राम ने पत्र लिखा।
भूतकाल के छह भेद होते हैं-
सामान्य भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से साधारणतः क्रिया का बीते समय में होना पाया जाये उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं।
जैसे-
राधा ने गीत गाया।
आसन्न भूतकाल- आसन्न भूतकाल से यह जाना जाता है कि काम भूतकाल से शुरू होकर अभी-अभी समाप्त हुआ है।
जैसे-
राधा ने अभी खाना खाया है।
मैं खाना खा चुका हूँ।
पूर्ण भूतकाल- क्रिया के जिस रूप में काम का बहुत समय पहले बीत जाने का बोध होता है उसे पूर्णभूत काल कहते हैं।
जैसे-
डॉ. रोगी को देख चुका था।
रोगी ठीक हो चुका था।
अपूर्ण भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि काम बीते समय शुरू हुआ था किंतु समाप्त भूतकाल में सूचित न हो उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं।
जैसे-
अरुण झूठ बोल रहा था।
पक्षी वृक्षों पर चहचहा रहे थे।
संदिग्ध भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से बीते समय में काम होने में संदेह पाया जाए उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं।
जैसे-
राधा ने पुस्तक पढ़ ली होगी।
वह चला गया होगा।
हेतुहेतुमद् भूतकाल- जहाँ भूतकाल की एक क्रिया दूसरे पर आश्रित हो वहाँ हेतुहेतुमद् भूतकाल होता है।
जैसे-
यदि वर्षा होती तो फसल अच्छी होती।
यदि डॉक्टर समय पर आता तो मरीज नहीं मरता।
भविष्यत् काल- क्रिया के जिस रूप से उसके आने वाले समय का पता चले उसे भविष्यत् काल कहते हैं।
जैसे-
वह पटना नहीं जाएगा।
कल मोहन बाजार जाएगा।
हम मैच देखेंगे। इत्यादि।
भविष्यत् काल के दो भेद होते हैं-
सामान्य भविष्यत्- क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय में काम करना या होना पाया जाए उसे सामान्य भविष्यत् कहते हैं।
जैसे-
आज वर्षा होगी।
हम खेलने जाएंगे।
संभाव्य भविष्यत्- वैसी क्रिया जिसमें किसी काम के करने या होने की संभावना पायी जाए उसे संभाव्य भविष्यत् कहते हैं।
जैसे-
हो सकता है आज वर्षा हो।
शायद वह पास हो जाए।
Explanation:
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