कल्पना चावला का सक्षिं क्षिप्त जीवन परिचय लिखिए
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भारत की पहली महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला को देश भर की महिलाए एक आदर्श के रूप में देखती हैं. कल्पना ने 2 बार अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था,इससे पहले राकेश शर्मा वो भारतीय थे जिन्होंने अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था और चाँद पर कदम रखा था.कल्पना का सफर भारतीयों के लिए किसी सपने से कम नहीं है,और उन्हें नासा में मिलने वाली जिम्मेदारियां एवं सफलता भारत का सर और ऊँचा कर देती हैं,इसीलिए कल्पना भारत में एक आदर्श,सफल और प्रेरणास्पद महिला के रूप में देखी जाती हैं.कल्पना ने अपनी पहली उड़ान के बाद कहा था “रात का जब समय होता हैं, तब मैं फ्लाइट डेक की लाइट कम कर देती हूँ और बाहर गैलेक्सी और तारों को देखती हूँ, तब ऐसा महसूस होता हैं कि आप धरती से या धरती के कोई विशेष टुकड़े से नहीं आते हो, बल्कि आप इस सूर्यमंडल का ही हिस्सा हो”. कल्पना भारत के पहले पायलट जे.आर.डी टाटा से प्रभावित थी, इसलिए उनकी उड़ान में रूचि जे.आर.डी टाटा की प्रेरणा से ही विकसित हुयी थी. भारत ने कल्पना के सम्मान में उनके नाम पर अपने पहले मौसम सेटेलाईट का नाम रखा हैं- कप्लना-1. कल्पना के देहांत के बाद उनके पति भारत आये थे और कल्पना के भस्मावशेषों को हिमालय पर बिखेरा था ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके.
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भारत की पहली महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला को देश भर की महिलाए एक आदर्श के रूप में देखती हैं. कल्पना ने 2 बार अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था,इससे पहले राकेश शर्मा वो भारतीय थे जिन्होंने अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था और चाँद पर कदम रखा था.कल्पना का सफर भारतीयों के लिए किसी सपने से कम नहीं है,और उन्हें नासा में मिलने वाली जिम्मेदारियां एवं सफलता भारत का सर और ऊँचा कर देती हैं,इसीलिए कल्पना भारत में एक आदर्श,सफल और प्रेरणास्पद महिला के रूप में देखी जाती हैं.कल्पना ने अपनी पहली उड़ान के बाद कहा था “रात का जब समय होता हैं, तब मैं फ्लाइट डेक की लाइट कम कर देती हूँ और बाहर गैलेक्सी और तारों को देखती हूँ, तब ऐसा महसूस होता हैं कि आप धरती से या धरती के कोई विशेष टुकड़े से नहीं आते हो, बल्कि आप इस सूर्यमंडल का ही हिस्सा हो”. कल्पना भारत के पहले पायलट जे.आर.डी टाटा से प्रभावित थी, इसलिए उनकी उड़ान में रूचि जे.आर.डी टाटा की प्रेरणा से ही विकसित हुयी थी. भारत ने कल्पना के सम्मान में उनके नाम पर अपने पहले मौसम सेटेलाईट का नाम रखा हैं- कप्लना-1. कल्पना के देहांत के बाद उनके पति भारत आये थे और कल्पना के भस्मावशेषों को हिमालय पर बिखेरा था ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके.