कल्पना की उडान
चमत्कारी पेड़.
दिख जाए पेड़ एक ऐसा,
जो भरा हो चमत्कार जैसा।
नोटों की पत्तियाँ हों जिस पर,
लगा हो फल बर्गर जैसा इस पर।
चाऊमीन का घोंसला हो डाल पर,
चॉकलेट की चिड़िया बैठी हो उस पर।
जलेबी, रसगुल्ला खिलता हो,
फूल
और कली की तरह दिखता हो।
टहनियाँ पकड़कर हिलाएँ झटपट,
गिरें टॉफ़ी, बिस्कुट टप-टप।
पत्तों पर ओस पड़े दूध जैसा,
पेड़ से रस टपके फ्रूटी जैसा।
दिख जाए पेड़ एक ऐसा,
जो भरा हो चमत्कार जैसा।
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ANSWER :
कल्पना की उड़ान एक अभिव्यक्ति है अपने अंदर के पंछी को काल्पनिक बादलों में विचरण करने देने की आज़ादी की | आपके, मेरे, हम सबके अंदर पंख लगा एक ऐसा पंछी है जो सांसारिक कलेश और प्रथाओं से कहीं न कहीं दुखी है और खुद को बंधा हुआ महसूस करता है | आपकी कल्पनाओं पर सवार आपके अंदर का वही पंछी कहीं उड़ जाना चाहता है |
इस कविता संग्रह में आपको ऐसे कई रस मिलेंगे जो आपको उन बादलों की सैर करायेंगे |
उन बादलों के पार जहां हमारा घर है जहां से हम आए हैं और जहां हमें आखिर में जाना है की झलक आपको मेरी रचनाओं में नज़र आयेगी |
इस उड़ान की चाह आप में, मुझ में, हम सब में है-शायद आप मेरे साथ वह सैर कर सकें जो आपको बादलों के पार ले जाए | इसी आशा के साथ प्रस्तुत करता हूं एक आम संवेदनशील आदमी की कल्पना की उड़ान |
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