Hindi, asked by chidu1450, 1 year ago

कल्पना में आज तक उड़ते रहे तुम,
साधना से सिहरकर मुड़ते रहे तुम।
अब तुम्हे आकाश में उड़ने न दूंगा,
आज धरती पर बसाने आ रहा हूँ।
सुख नहीं यह, नींद में सपने संजोना,
दुःख नहीं यह, शीश पर गुरु भार ढोना।
शूल तुम जिसको समझते थे अभी तक,
फूल मै उसको बनाने आ रहा हूँ।
देखकर मझधार को घबरा न जाना,
हाथ ले पतवार को घबरा न जाना।
मै किनारे पर तुम्हे थकने न दूंगा,
पार मै तुमको लगाने आ रहा हूँ।
तोड़ दो मन में कसी सब श्रंखलाएं
तोड़ दो मन में बसी संकीर्णताऐ
बिंदु बनकर मै तुम्हे ढलने न दुगा
सिन्धु बनकर तुमकों उठाने आ रहा हु

Answers

Answered by rohitkumar0000
3

Answer:

समय /वक्त ................ .

Similar questions