कलात्मक रीति से सजी हुई भाषा जिसमें भावों की अभिव्यंजना ही कविता कहलाती है कविता की यह परिभाषा किसने दी
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श्यामसुंदर दास जी
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कलात्मक रीति से सजी हुई भाषा जिसमें भावों कि अभिव्यंजना ही कविता कहलाती है , कविता की यह परिभाषा श्याम सुंदर दास जी ने दी।
- डॉ श्याम सुन्दर दास जी का जन्म 14 जुलाई 1875 के दिन हुआ था। वे हिंदी के अनन्य साधक थे। साथ ही वे एक आलोचक, विद्वान तथा शिक्षाविद् थे। उनका नाम हिंदी साहित्य व बौद्धिकता के पथ प्रदर्शक के रूप में अविस्मरणीय रहेगा।
- उन्होने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर सन 1893 ने काशी नागरी प्रचारिणी सभा स्थापित की।
- डॉ श्याम सुन्दर दास ने हिंदी साहित्य की सेवा करते हुए अपने जीवन के पचास वर्ष बिताए। उनके इसी हिंदी भाषा के प्रति समर्पण को देखकर राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त ने उनके सम्मान में कुछ पंक्तियां लिखी थी।
- श्याम सुन्दर दास जी अपने हिंदी साहित्य के रूप में ऐसे आदर्श छोड़ गए है जो युगों युगों तक युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
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