कलिया दरवाजे खोल खोल जब दुनिया पर मुस्काती है जब छम छम बूंदे गिरती है बिजली चमचम कर जाती है? इसका भावार्थ
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कलियाँ दरवाजे खोल-खोल
जब झुरमुट पर मुस्काती हैं
खुशियों की लहरें जब
घर से बाहर आ दौड़ लगाती हैं
जब छम-छम बूंदे गिरती है
बिजली चम-चम कर जाती है
हे जग के सिरजनहार प्रभो
जब याद तुम्हारी आती है
संदर्भ = ये पक्तियां ‘रामनरेश त्रिपाठी’ द्वारा रचित कविता ‘जब याद तुम्हारी आती है’ से ली गयी हैं।
भावार्थ = जब कलियाँ अपने पंखुड़ी रूपी दरवाजे को खोलकर पेड़ों के झुरमुट यानी झाड़ियों से बाहर झांकने लगती हैं। घरों से तरह-तरह की सुगंध निकलकर वातावरण में व्याप्त हो जाती है। बारिश की छम-छम बूंदे गिरती हुई एक मधुर संगीत उत्पन्न करती हैं और बिजली चम-चम कड़क कर अद्भुत दृश्य बनाती है। तब ऐसे हे जगत के पालनहार हे, जगत के रचियता प्रभु ! हमें आपकी आपके द्वारा रचित सुंदर प्रकृति की रचना को देखकर आपकी याद आती है।
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