Hindi, asked by vamshirao8667, 10 months ago

Kala akshar bhens barabar par kahani

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Answered by Purviyadavrjn
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चिंटू जब भी छुट्टियों में घर जाता तो दादी के पास ही सोता था। उसे दादी के पास सोने में इसलिए मजा आता था, क्योंकि वह रोज रात को उसे नई-नई कहानियां सुनाती थीं। चिंटू इसलिए भी ज्यादा खुश रहता था कि उसे कहानियों के लिए किताब पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती थी। कहानी सुनते समय जो भी जिज्ञासा होती, वह दादी से पूछ भी लेता था। एक रात जब वह दादी से कहानी सुनने की जिद कर रहा था तो दादी गुस्सा होकर बोलीं, ‘अब मैं हर रोज नई कहानियां कहां से लेकर आऊं? जितनी भी कहानियां जानती थी, सब सुना चुकी हूं।’ बावजूद इसके चिंटू कहानी सुनने की जिद करता रहा। आखिर में जब कहानी नहीं सुन पाया तो रोने लगा। फिर मां ने उसे समझाया कि दादी रोज नई कहानियां नहीं सुना सकतीं, क्योंकि उनके पिटारे की सारी कहानियां खत्म हो चुकी हैं।’

चिंटू: ‘दादी का पिटारा कहानियों से कैसे भरेगा? क्या कहानी की किताब पढ़ने से भर जाएगा?’ चिंटू को चुप कराने के लिए  मां ने ‘हां’ बोल दिया। अगले दिन चिंटू कहीं से कहानी की किताब लेकर आया और दादी को देते हुए बोला, ‘लो कहानी की किताब। इसे पढ़ लेना और अब यह न कहना कि आपको कहानी याद नहीं है। आज रात फिर मैं सुनूंगा आपसे कहानी।’

किताब को हाथ में लेते हुए दादी ने चिंटू को गले लगा लिया और कहा, ‘बेटा, मेरे लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है। मुझे क्या पता इस किताब में क्या लिखा है?’

चिंटू: ‘मतलब!’  

दादी: ‘मतलब यह कि मुझे पढ़ना नहीं आता। ये सारे अक्षर मेरे लिए भैंस के रंग के समान काले ही हैं।’ अब तो समझ ही गए होगे कि इस कहावत का मतलब। निरक्षर लोगों के लिए इस कहावत का इस्तेमाल किया जाता है।

Answered by thakursunita400
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Answer:

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