kalidas mahakavi pe 15line ka essay plz help me in sanskrit
Answers
महाकवि कालिदास की कहानी Life Story of Kalidas in Hindi
कालिदास के बारे में आप लोगों ने जरूर सुना होगा। वो संस्कृत भाषा के महान कवि और नाटककार थे। “अभिज्ञान शाकुंतलम्” उनका प्रसिद्ध नाटक है। इसका अनुवाद विश्व के अनेक भाषाओं में हुआ है। मेघदूत कालिदास की एक प्रसिद्ध रचना है। यह एक दूतवाक्य है। इसमें यक्ष की कहानी है जिसे अलकापुरी से निष्कासित कर दिया गया है। यक्ष बादलों की मदद से अपने प्रेम संदेश अपनी प्रेमिका तक पहुंचाता है।
यह ग्रंथ भारतीय साहित्य में बहुत प्रसिद्ध है। कालिदास ने अपनी रचनाओं में प्रकृति का वर्णन बहुत ही सुंदर तरह से किया है। सरल, मधुर और अलंकार युक्त भाषा का इस्तेमाल किया है। उनकी रचनाओं में श्रृंगार रस की प्रधानता है। कालिदास के समकालीन कवि बाणभट्ट ने उनकी रचनाओं की प्रशंसा की है।
महाकवि कालिदास की कहानी Life Story of Kalidas in Hindi
जन्म एवं प्रारंभिक जीवन
कालिदास का जन्म किस वर्ष हुआ है यह ज्ञात नहीं है। विद्वानों में इसे लेकर बहुत विवाद है। उनके जन्म स्थान के बारे में भी सही जानकारी उपलब्ध नहीं है। मेघदूत ग्रंथ में कालिदास ने उज्जैन का वर्णन विशेष रूप से किया है, इसलिए कुछ विद्वानों का मानना है कि कालिदास का जन्म उज्जैन में हुआ था।
कुछ का मानना है कि कालिदास का जन्म उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कविल्ठा गांव में हुआ था। उन्होंने मेघदूत, कुमारसंभवम औऱ रघुवंश जैसे प्रसिद्द ग्रंथों की रचना की। किंवदंतियों के अनुसार कालिदास देखने में सुंदर, हृस्टपुष्ट और आकर्षक थे। वे राजा विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्नों में से एक थे।
कालिदास का विद्द्योत्तमा से विवाह
विद्द्योत्तमा से विवाह कालिदास के जीवन की प्रमुख घटना थी। ऐसा कहा जाता है कि वह शुरू में अनपढ़ और मूर्ख थे। विद्द्योत्तमा को अपने ज्ञान पर बहुत घमंड था। वह एक राजकुमारी थी। उसने यह प्रतिज्ञा की थी कि जो पुरुष उसे शास्त्रार्थ में पराजित करेगा वह उससे विवाह करेगी। बहुत से विद्वान विद्द्योत्तमा से विवाह करने के लिए आये परंतु पराजित होकर चले गये। सभी विद्वान मन ही मन विद्द्योत्तमा से प्रतिशोध लेने की सोचने लगे। वह किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे थे जो उसे शास्त्रार्थ में पराजित कर सके। एक दिन उन्हें एक पेड़ पर एक व्यक्ति दिखाई दिया। वह जिस शाखा पर बैठा था, उसी को काट रहा था। विद्वान समझ गए कि यह व्यक्ति बहुत ही मुर्ख है। उसी समय उन्होंने उसका चुनाव विद्द्योत्तमा को पराजित करने के लिए कर लिया। वह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि स्वयं कालिदास थे।