kaliyon se poem by harishankar bachan summary ?
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the summary in English from google
Explanation:
The poem 'Kalyen se' is a creation of Hindi poet Harivansh Rai Bachchan. The poet apologizes to the buds because he has broken them and tortured them since childhood, on which the buds thank him that he has broken them and increased their usefulness because even if they were not broken, the potter would fall.
'Oh, with the buds,
When I had a fickle childhood,
My heart was merciless,
Tortured many,
Griefs were given to the buds,
Break brought them from the gardens,
Makes a necklace!
Cruel work, how would it do
Thinking it makes me sigh.
Buds, these criminal hands apologize to you. '
Answer:
कलियों से
'कलियों से' कविता हिन्दी के महान कवि हरिवंश राय बच्चन जी की रचना है| कवि कलियों से क्षमा मांगता है क्योंकि उसने बचपन से उन्हें तोड़ कर उनपर अत्याचार किये हैं जिसपर कलियां उसे धन्यवाद देती हैं कि उसने उन्हें तोड़ कर उनकी उपयोगिता बढ़ाई है क्योंकि वे तो तोड़े न जाने के बाद भी कुम्हला के गिर ही जातीं...
'अहे, मैंने कलियों के साथ,
जब मेरा चंचल बचपन था,
महा निर्दयी मेरा मन था,
अत्याचार अनेक किये थे,
कलियों को दुःख दीर्घ दिए थे,
तोड़ इन्हें बागों से लाता,
छेद-छेद कर हार बनाता !
क्रूर कार्य, यह कैसे करता,
सोच इसे हूँ आहें भरता |
कलियों, तुमसे क्षमा माँगते ये अपराधी हाथ |'
'अहे, वह मेरे प्रति उपकार !
कुछ दिन में कुम्हला ही जाती,
गिरकर भूमि-समाधि बनाती |
कौन जानता मेरा खिलना ?
कौन, नाज़ से डुलना-हिलना ?
कौन गोद में मुझको लेता ?
कौन प्रेम का परिचय देता ?
मुझे तोड़, की बड़ी भलाई,
काम किसी के तो कुछ आई ,
बनी रही दो-चार घड़ी तो किसी गले का हार |'
'अहे, वह क्षणिक प्रेम का जोश !
सरस-सुगंधित थी तू जब तक,
बनी स्नेह-भाजन थी तब तक |
जहाँ तनिक-सी तू मुरझाई,
फेंक दी गई, दूर हटाई |
इसी प्रेम से क्या तेरा हो जाता है परितोष ?'
'बदलता पल-पल पर संसार
हृदय विश्व के साथ बदलता,
प्रेम कहाँ फिर लहे अटलता ?
इससे केवल यही सोचकर,
लेती हूँ संतोष हृदय भर----
मुझको भी था किया किसी ने कभी हृदय से प्यार !'
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