Hindi, asked by hichoubey2002, 1 month ago


कलक्टर सिंह केसरी रचित उत्तर सीता चरित के आलोक में सीता का चरित्र चित्रण करें​

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Answered by niraliparmar2685
7

Answer:

मारे धार्मिक गर्न्थ अर्थात हमारा अध्यातमक इतिहास इस बात की साक्षी है कि जब जब इस समाज का कल्यान करने के लिये भग्वान अवतरित हुऐ है तब तब उन का साथ देने के लिये उनकी पार्षद, उनकी शक्ति भी अवतरित हुई है। जहाँ भग्वान अपना प्रयोजन सिध करने के लिये लीलायें करते है, वहीं उनकी शक्ति उनकी लीला में उन की सहायक बन के एक आदर्श स्थापित करतीं हैं। माँ सीता का अवतारण भी इस प्रथ्वि पर पापी रावण का अतं का कारण बनीं। लेकिन इस लीला में माँ सीता को किन किन भौतिक कठिनाइयों का सामना करना पडा ये सर्वविदित है।

धरा पुत्री सीता माता, राजा जनक के महलों में पलती बढतीं हैं किन्तू मर्यादा पुरूषोतम राम के साथ बनवास में बन बन बटकती रहीं। आततायी रावण हरण कर के उन्हें लंका ले जाता है, रावण के मरणोपरांत क्ष्री राम जी अग्नि परिक्षा लेकर ही उनको अपने साथ लेकर जाते है, लिकिन फिर भी, धोभी के दुर्वचन सुन कर उन्हें त्याग देते हैं। कालांतर मै लव-कुश से पराजित की गयी क्ष्री राम की सेना, द्वारा वृतांत जानने पर क्ष्री राम द्वारा फिर से परिक्षा लेने की बात सुन कर धरती में समा जाती हैं। यहाँ तक की व्यथा कथा सब जानते ही है।

अब ज‍़रा सम्पूर्ण राम कथा में सीता जी के चरित्र मह्त्तव को देखें -

1 सीता जी पतिव्रता नारी का प्रतीक हैं। वो क्ष्री राम के इलावा किसी को सपने में भी नहीं देखना चाहती थीं। रावण के ज़बरदसती समीप आने पर तिनके की ओट का सहारा लेतीं हैं।

2 संस्कारी माता के रूप में लव-कुश को संस्कारी पुत्रों के रुप में संसार के सामने रखा। पिता क्ष्री राम जी के बारे में पता लग जाने पर उनहोंने माता द्वारा आदेश-भद हो कर पिता की हर आज्ञा का पालन किया।

3 त्याग की परिमुर्ति की आज्ञा मान कर अग्नि में प्रवेश किया और अपनी सुचिता का प्रमान दिया।

4 बनवास को बेजने वाली माता कैक्यी के प्रति भी किसी प्रकार का वैमन्सय न रख के आदर्शता का परिचय दिया है।

इसलिये जब कभी भारतीय नारी के आदर्श चरित्र की बात हुई है, तब सीता माता का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है।

Answered by jagruti6551
25

Answer:

मारे धार्मिक गर्न्थ अर्थात हमारा अध्यातमक इतिहास इस बात की साक्षी है कि जब जब इस समाज का कल्यान करने के लिये भग्वान अवतरित हुऐ है तब तब उन का साथ देने के लिये उनकी पार्षद, उनकी शक्ति भी अवतरित हुई है। जहाँ भग्वान अपना प्रयोजन सिध करने के लिये लीलायें करते है, वहीं उनकी शक्ति उनकी लीला में उन की सहायक बन के एक आदर्श स्थापित करतीं हैं। माँ सीता का अवतारण भी इस प्रथ्वि पर पापी रावण का अतं का कारण बनीं। लेकिन इस लीला में माँ सीता को किन किन भौतिक कठिनाइयों का सामना करना पडा ये सर्वविदित है।

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