कलकत्ता- अरुण कमल जी की कविता है। कलकत्ता शहर के पुरातन एवं नवीन रुपों से कवि किस प्रकार आकर्षित है, पठित कविता के मध्यम से स्पष्ट करें
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कलकत्ता शहर के पुरातन तथा नवीन रूपों से कवि निम्नलिखित प्रकार से आकर्षित है।
• कवि अरूण जी जब कलकत्ता के नए रूप को देखते है तो उन्हें लगता है कि क्या ये वही शहर कलकत्ता है क्योंकि अब यहां अनेक परिवर्तन हो चुके हैं।
• पहले उनके घर में एक बत्ती टिमटिमाती थी अब यह शहर रोशनियों से खचाखच भरा है।
• उस शहर में किसी का हुक्म नहीं चलता था। खोमचे वाले हुआ करते थे। सुबह सुबह स्त्रियां गंगा स्नान को जाया करती थी।
• वे कहते है कि यदि कोई कोतवाल भी दाढ़ी लगाकर आ जाए तो कुत्ते भूंक भूंक कर शहर के बाहर खदेड़ देते थे।
• अब न वह शहर है न ही ये दृश्य हैं।
• कवि कहते है कि नदी सूखी हो या भरी हुई मै यहां आऊंगा।
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full summary of Calcutta by arun kamal
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