kallu kumhar ki unakoti ki full summary batao.
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कल्लू कुम्हार शिव जी का भक्त था। वह त्रिपुरा में रहता था। वह एक कुम्हार था। उसकी शिव के साथ रहने की तीव्र इच्छा थी। भगवान शिव ने यह शर्त रखी कि यदि वह एक रात में शिव जी की एक करोड़ मूर्तियाँ बनायेगा तो वे उसकी इच्छा पूरी करेंगे।
कल्लू शिव जी के पास जाने के लिए बहुत उत्सुक्त था इसलिए उसने तुरंत मूर्तियाँ बनाना शुरू कर दिया। लेकिन एक मूर्ति बनाना रह गया था जब सुबह हो गई। इसलिए वह शिव जी के साथ नहीं जा सका और वहीँ रह गया।
कल्लू कुम्हार के नाम से त्रिपुरा के उस स्थान का नाम उनाकोटी पड़ा। उनाकोटी का अर्थ है एक करोड़ से एक कम।
त्रिपुरा बहुधार्मिक समाज का उदाहरण है। वहाँ लगातार दूसरी जगहों से लोग आते रहे हैं। त्रिपुरा में उन्नीस अनुसूचित जनजातियाँ हैं। इसके अतिरिक्त वहाँ विश्व के चारों बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व पाया जाता है।
अगरतला के बाहरी हिस्से पैचारथल में एक सुंदर बौध मंदिर है। त्रिपुरा के उन्नीस कबीलों में से चकमा और मुघ महायानी बौध हैं। ये कबीले म्यांमार से आये थे। इस मंदिर की मुख्य बुद्ध प्रतिमा 1930 में रंगून से लाई गयी थी।