कलम, आज उनकी जय बोल!
जला अस्थियाँ बारी-बारी
छिटकाई जिसमें चिनगारी,
चढ़ गए जो पुण्य-वेदी पर
लिए बिना गरदन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल!
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफ़ानों में एक किनारे,
जल-जलकर बुझ गए, किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल।
कलम, आज उनकी जय बोल!
Ye jo likha hua hai isko explain krna hai ki isme kya btaya hai
har line ka meaning likhna hai in hindi
please give me correct answer please
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Explanation:
समस्त पद्यांशों की व्याख्या
कलम् आज ……………………………. बोली
संदर्भ:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तके मंजरी’ के कलम आज उनकी जय बोल’ नामक कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हैं।
प्रसंग:
कवि ने देशप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत देशभक्तों के बलिदान का वर्णन किया है।
व्याख्या:
कवि कहता है कलम! उन वीर शहीदों की विजय का गान कर, प्रशंसां के गीत गा, जिन्होंने अपना सब कुछ बलिदान करके क्रान्ति की भावना जाग्रत् की और नई चेतना फैलाई तथा जिन्होंने बिना किसी मूल्य के कर्तव्य की पुण्यवेदी पर स्वयं को न्योछावर कर दिया।
जो अगणित …………………………बोल।
संदर्भ: पूर्ववत्।
प्रसंग:
दिनकर जी ने निस्वार्थ भाव से देश पर न्योछावर, होने वाले वीरों का गुणगान किया है।
व्याख्या:
कलम! उनका विजय गान कर, जो असंख्य छोटे दीपक जलकर बिना तेल बुझ गए, उन अगणित वीरों का यशगान कर, जो देश की आन पर मर मिटे, परन्तु उन्होंने किसी र कर स्नेह की माँग नहीं की।
पीकर जिनकी …………….. बोल।
संदर्भ:
पूर्ववत्।
प्रसंग:
कवि ने वर्णन किया है किस प्रकार वीरों के सिंहनाद से सब भयभीत हो गए।
व्याख्या:
उन वीर अमर शहीदों ने दीपक की भाँति जलकर जो तेज (लाल) अग्नि प्रज्वलित कीं, उनकी गर्म लपटें दिशाओं में उठ रही हैं। उन वीरों की सिंह गर्जना से पृथ्वी भयभीत होकर अब भी हिल रही है।