कलम की आत्मकथा लिखो। 150 words
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मुझे पूरे विश्व में कलम के नाम से जाना जाता है। मेरा इस्तेमाल दुनिया में हर जगह होता है। आज कोई भी ऐसा देश नहीं है जो मेरा इस्तेमाल न कर रहा हो। मेरी मदद से ही लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार कागज पर लिख पाते हैं। यदि मैं न होता तो कोई भी आज पढ़ा लिखा न होता और न ही पूरे विश्व में ज्ञान का उजाला होता।
कलम की आत्मकथा इन हिंदी
बच्चे जो देश का भविष्य होते हैं वह अपनी पढ़ाई की शुरुआत मुझसे ही करते हैं और मेरी मदद से ही लिखना सीखते हैं। यह मुझे एक प्रकार की खुशी भी देता है कि मैं किसी का भविष्य बनाने में मदद कर रहा हूं।
सिर्फ बच्चे ही नहीं मेरा उपयोग पत्रकार भी खबर लिखने के लिए करते हैं। वह अपनी खबर मेरे द्वारा ही लिखते हैं और वही खबर अगले दिन अखबार में छपती भी है। इन खबरों की वजह से ही समाज में जागरूकता बनी रहती है और समाज अपने आसपास में होने वाले परिवर्तनों को जान पाता है। अतः मुझे इस बात से भी खुशी होती है कि मैं समाज को जागरूक करने के काम भी आ रहा हूं।
वैसे तो मेरा उपयोग इन दोनों के अलावा अन्य लोग भी अपने कार्यों के हिसाब से करते हैं। मेरा उपयोग हर उम्र का व्यक्ति करता ही है। चाहे कोई बूढ़ा हो या बच्चा सबके पास मैं रहता ही हूं। मुझे हर कोई संभाल कर अपनी जेब में रखता है ताकि मैं इधर उधर गुम ना हो जाऊं।
यदि आपको मैं अपना इतिहास बताऊं तो मेरा इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन काल में मैं लकड़ी का बना होता था और मुझे सियाही में डुबोकर कागज पर लिखा जाता था। लेकिन समय परिवर्तित होता गया और आज मेरा सबसे वर्तमान रूप बॉल पेन है। एक लकड़ी के टुकड़े से बॉल पेन तक का सफर इतना छोटा नहीं है जितना आप अभी समझ रहे हैं इसके लिए मुझे अनेकों तरह की कर्मागत उन्नति से गुजरना पड़ा और तब जाकर मैं आज अपने सबसे वर्तमान रूप बॉल पेन में पहुंच पाया हूं।
थोड़े समय पहले ही मेरा एक नया रूप आया था जो फाउंटेन पेन के नाम से विख्यात हुआ। फाउंटेन पेन का आविष्कार सर्वप्रथम पेट्राक पोएनारु जोकि रोम के निवासी थे ने किया था। लेकिन फाउंटेन पेन का सर्वप्रथम पेटेंट फ्रांस की सरकार ने सन् 1827 को मई के समय में किया था।
इसके बाद जब जॉन जे लाउड ने मेरे सबसे आधुनिक रूप बॉल पॉइंट पेन का पेटेंट 30 अक्टूबर, 1888 को कराया तो यह बहुत तेजी से पूरी दुनिया में प्रचलन में आया और आज वर्तमान में भी आप मेरे इसी आधुनिक रूप बॉल पॉइंट पेन का उपयोग करते हैं।
मेरी स्याही अनेकों रंगों की होती है। लेकिन मुझे मुख्यतः नीले, काले और लाल रंग की स्याही में उपयोग किया जाता है। नीले रंग की स्याही वाली कलम कुछ भी लिखने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है जबकि काली रंग की स्याही वाली कलम का उपयोग शीर्षक को लिखने के लिए किया जाता है और लाल रंग की स्याही वाली कलम का इस्तेमाल शिक्षक करते हैं।
मैं अनेकों जगह उपयोग किया जाता हूं। चाहे दफ्तर हो या विद्यालय या कोई अन्य जगह हो वहां मेरा कुछ ना कुछ उपयोग जरूर होता है। यह समाज में मेरी अहमियत को दर्शाता है कि मैं समाज में कितना महत्व रखता हूं।