Hindi, asked by pritisevkani1977, 11 months ago

कलम की आत्मकथा निबंध​

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Answered by shankardeshmukh999
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Answer:

मैं एक कलम हूं । मुझे लेखनी भी कहा जाता है; क्योंकि मैं लिखने का काम करती हूं । सृष्टि के प्रारम्भ से लेकर आज तक की वर्तमान सभ्यता तक ज्ञान-विज्ञान की जो जानकारियां मनुष्य तक पहुंची हैं, उसे पहुंचाने एवं प्राप्त करने का श्रेय मुझे ही तो जाता है ।

मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ मेरे रंग-रूप में आमूल-चूल परिवर्तन आया है । पहले मैं लकड़ी से बनी होती थी । मेरी नोंक को स्याही की दवात में डुबो-हुबद्धे लिखा जाता था । मुझे प्रयोग में लाने वाले लोग दवात के साथ अन्य सामान को लेकर चला करते थे ।

बाद में मेरे रूपों में कुछ ऐसा परिवर्तन आय कि मुझमें स्याही भरी जाने लगी, जो नीले, हरे, लाल सभी प्रकार के रंगों में प्रयुक्त होती थी । मेरे इस रूप को फ-टेन पेन कहा जाता है । मेरे अग्रभाग, अर्थात् निब से अक्षरों को विभिन्न आकार-प्रकारों में लिखा जाता है । निब के साथ-साथ मेरे आकार-क्कारों में काफी विविधताएं एवं विशेषताएं पाई जाती हैं ।

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