कलम किसी की भी जय कैसे बोल सकती है ? स्पष्ट कीजिए|
कविता प्रणति
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प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तके मंजरी' के कलम आज उनकी जय बोल' नामक कविता से ली गई हैं। इसके रचयिता रामधारी सिंह 'दिनकर' हैं। प्रसंग: कवि ने देशप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना (UPBoardSolutions.com) से ओत-प्रोत देशभक्तों के बलिदान का वर्णन किया है।
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आज उनका जयगान कर, जिन्होंने बारी-बारी से अस्थियों को जलाकर चिंगारी छिटकाई। जो पुण्य वेदी पर बिना गरदन का मोल लिए चढ़ गए। कलम, आज उनकी जय बोल।
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