कलपना चावला का सपना कब और कैसे पूरा हुआ
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मार्च 1995 में कल्पना चावला की जिंदगी का सबसे बड़ा सपना पूरा हुआ। उन्हें पहली अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुन लिया गया और इस खुशी में उनके पैर जमीन पर नहीं टिक रहे थे। उड़ान के लिए चुने जाने के करीब 8 महीने बाद उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 19 नवंबर 1997 को शुरू हुआ।
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कुछ लोगों का जन्म ही दूसरों को राह दिखाने के लिए होता है। उनकी जिंदगी तो मिसाल बनती ही है, उनकी मौत भी लोगों की आंखों में कल्पनाओं की एक चमक छोड़ जाती है। ऐसी ही थीं भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला। 16 साल पहले आज ही के दिन (1 फरवरी 2003) को हुई अंतरिक्ष इतिहास की एक मनहूस दुर्घटना ने उन्हें और उनके दल के छह अन्य साथियों को कभी खत्म न होने वाले मिशन पर भेज दिया।
ये दर्दनाक हादसा उस वक्त हुआ था, जब कल्पना का अंतरिक्ष यान कोलंबिया शटल STS-107 धरती से महज 16 मिनट की दूरी पर था। उस वक्त यान की धरती से दूरी थी करीब दो लाख फीट और उसकी रफ्तार थी 20 हजार किलोमीटर प्रति घंटा। कल्पना और उनके दल की वापसी का अमेरिका के टैक्सास शहर में बेसब्री से इंतजार किया जा रहा था। कामयाब अंतरिक्ष मिशन से लौटने पर इनके भव्य स्वागत की तैयारी थी।
कई लड़कियों के सपनों को दिए 'कल्पना' के पंख
कल्पना चावला एक ऐसी लड़की थीं जिन्होंने भारत और पूरी दुनिया में लड़कियों के सपनों को पंख लगा दिए थे। उनको देखकर लोग अपनी बेटियों पर गर्व करते थे और आज भी करते हैं। हर लड़की की चाहत कल्पना चावला जैसा बनने की होती है। माता-पिता भी अपनी बेटियों को कल्पना चावला जैसा ऊंचा नाम करने को प्रेरित करते हैं। वह भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं। भारत ही नहीं आज पूरी दुनिया में कल्पना चावला सहित उन सभी सात अंतरिक्षयात्रियों की पुण्यतिथि मनायी जा रही है।