Hindi, asked by SujankumarTah, 1 year ago

kalpana ke adhar par bataye ki vartamaan mein ham paryawaran ko kaose bacha sakte hein pradushit hone se?​

Answers

Answered by reshikesh1
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नदियों, तालाबों के जल एवं भूमिगत जल को तो मनुष्यों ने प्रदूषित किया ही है। प्रदूषित करने में इसने सागर के जल को भी नहीं छोड़ा। सागर किनारे कई स्थलों पर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है, जिससे सागर किनारे कई छोटी-बड़ी बस्तियां बस गई हैं। वहां के लोगों का जीवनयापन पर्यटकों को विभिन्न प्रकार की सामग्रियां बेचकर होता है। उन बस्तियों में किसी प्रकार के शौचालय की व्यवस्था नहीं है, अगर है भी तो वे सुचारू रूप से कार्यरत नहीं है, जिसके कारण बस्ती के लोग सागर के पानी में ही शौच करते हैं तथा घर के कुड़े-कचरे को भी सागर के जल में बहा देते हैं, जिससे सागर का जल प्रदूषित होता है।

बढ़ता प्रदूषण वर्तमान समय की एक सबसे बड़ी समस्या है, जो आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाज में तेजी से बढ़ रहा है। इस समस्या से समस्त विश्व अवगत तथा चिंतित है। प्रदूषण के कारण मनुष्य जिस वातावरण या पर्यावरण में रहा है, वह दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है।

कहीं अत्यधिक गर्मी सहन करनी पड़ रही है तो कहीं अत्यधिक ठंड। इतना ही नहीं, समस्त जीवधारियों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है। प्रकृति और उसका पर्यावरण अपने स्वभाव से शुद्ध, निर्मल और समस्त जीवधारियों के लिए स्वास्थ्य-वर्द्धक होता है, परंतु किसी कारणवश यदि वह प्रदूषित हो जाता है तो पर्यावरण में मौजूद समस्त जीवधारियों के लिए वह विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न करता है।

ज्यों-ज्यों मानव सभ्यता का विकास हो रहा है, त्यों-त्यों पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। इसे बढ़ाने में मनुष्य के क्रियाकलाप और उनकी जीवनशैली काफी हद तक जिम्मेवार है। सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य ने कई नए आविष्कार किए हैं जिससे औद्योगीकरण एवं नगरीकरण की प्रवृत्ति बढ़ी है।

जनसंख्या वृद्धि के कारण मनुष्य दिन-प्रतिदिन वनों की कटाई करते हुए खेती और घर के लिए जमीन पर कब्जा कर रहा है। खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए रासायनिक खादों का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे न केवल भूमि बल्कि, जल भी प्रदूषित हो रहा है। यातायात के विभिन्न नवीन साधनों के प्रयोग के कारण ध्वनि एवं वायु प्रदूषित हो रहे हैं।

गौर किया जाए तो प्रदूषण वृद्धि का मुख्य कारण मानव की अवांछित गतिविधियां हैं, जो प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन करते हुए इस पृथ्वी को कूड़े-कचरे का ढेर बना रही है। कूड़ा-कचरा इधर-उधर फेंकने से जल, वायु और भूमि प्रदूषित हो रहे, जो संपूर्ण प्राणी-जगत के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

पर्यावरण प्रदूषण चार प्रकार का होता है-

जल प्रदूषण

वायु प्रदूषण,

भूमि प्रदूषण और

ध्वनि प्रदूषण।

Answered by dhannosinha001
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Answer:Vartaman Mein Hum Paryavaran Ko Dushit Hone Se Baccha Sakte The Jyaada Se Jyaada Ped Lagakar , Ped Na Kat Kar, Paani Mein Gandagi Na Failake, Hamesha Ghar Ko Safh Suthara Rakhkar Aur Hamesha Gandagi Ko Bahar Na Fekkar Balki Use Mitti Mein Daal Kar Aur Fir Waha Mitti Aur Upjau Bankar Aur Bhi Upyogi Banti.. Plastic Ishtemal Na Karke.... Aur Jyada Se Jyada Pradushan Na Failakar.....

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