Kam se kam 5 muhavare ka prayog karte hue Ek Kahani likhe
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मोहन नाम का एक लड़का था |वह अपनी मां की आंखों का तारा था फुल स्टॉप वह जरा गरीब तो नहीं पर अपने आप में संपन्न उसकी एक किराने की दुकान थी जिसे पहले उसके पापा चलाते थे मोहन बहुत आलसी था वह अपने पापा के साथ दुकान नहीं जाता था इसीलिए उसे दुकान के बारे में कुछ नहीं पता था लेकिन एकाएक उसके पिता का निधन हो गया और अब दुकान उसे ही देखना पड़ता था और घर का खर्चा भी उसे चलाना पड़ता है लोग वहां से कहने लगे कि पहले तुम मुझे कुछ नहीं आता जाता था अब उसे आटे दाल का भाव मालूम हो गया मोहन को अपनी दुकान से अच्छा खासा फायदा होने लगा
लोग उसे कहने लगे कि अब तो तुम्हें इतना फायदा होने लगा है कि तुम्हारे आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं मोहन ने अपने एक दोस्त से अपनी दुकान पर कुछ समय के लिए बैठने को कहा उसके दोस्त को दुकान के बारे में कुछ नहीं पता था वह बहाने बनाने लगा कि मुझे टाइम नहीं है मुझे यह करना है मुझे वह काम है और तुम्हारा दुकान में कितनी गर्मी लग रही है मैं यहां नहीं बैठ सकता तब मोहन ने कहा नाच ना जाने आंगन टेढ़ा .
मोहन बहुत परेशान था क्योंकि उसके उस दुकान में घाटा लग गया था और वह बहुत कष्ट झेल रहा था अंकिता उसने बहुत मेहनत की लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं लगा तो वह परेशान होकर अपनी मां से कहने लगा खोदा पहाड़ निकली चुहिया।।।।
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