कम्पुटर मनुष्य की दूसरी पृकृति का स्थान ले सकता है समझिये
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कंप्यूटर मनुष्य की दूसरी प्रकृति का स्थान नहीं ले सकता है माना कि कंप्यूटर दिन-ब-दिन विकसित होते जा रहे हैं, तेज से तेज होते जा रहे हैं, और आज के युग में कंप्यूटर काफी शक्तिशाली हो गए हैं, परंतु अभी भी वह मानव मस्तिष्क की बराबरी नहीं कर सकते,कंप्यूटर किसी पहले से प्रोग्राम किए हुए एकल कार्य को बहुत तेजी से पूरा कर सकता है, जिसके लिए उसे पहले से प्रोग्राम किया गया, जेसे की शतरंज खेलना अगर पहले से प्रोग्राम किया जाए तो कंप्यूटर मनुष्य को शतरंज में हरा सकता है, जैसा कि हमने आजकल के दौर में कई कंप्यूटर और मनुष्य की शतरंज प्रतियोगिता में देखा है, परंतु कंप्यूटर की तुलना मनुष्य के मस्तिष्क के कार्यों से की जाए तो वह मस्तिष्क से बहुत पीछे है,इन्सान का दिमाग कई तरह की चीजों को करने में सक्षम है जैसे कि पैटर्न को पहचानना भाषा का ज्ञान, रचनात्मक थिंकिंग, जबकि दूसरी और कंप्यूटर् पैटर्न को पहचानने की कला धीरे-धीरे सीख रहे हैं, फिर भी अभी तक कंप्यूटर्स की पैटर्न पहचानने की क्षमता बच्चों के बराबर हैकंप्यूटर उन कामों में ज्यादा सक्षम है जिन्हें निर्देशों में विभाजित किया जा सकता है, इंसान का दिमाग उन कार्यों में ताकतवर है जिन कार्यों को आसानी से छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटा नहीं जा सकता।
वर्तमान समय में कंप्यूटरों का दिमाग सिर्फ सूचना देने वाले यंत्रों की तरह है वह अपने लिए कुछ भी नहीं सोच सकते और इंसानी दिमाग से उनकी तुलना नहीं की जा सकती इस तरह हम देखते हैं कि मानव मस्तिष्क ही कंप्यूटरों से श्रेष्ठ है।