कम्प्यूटर पर आत्मकथा
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कंप्यूटर को सबसे पहले खोजने वाले चार्ल्स bebbage थे,और कॉमप्यूटर को माता लद्दी ऑगस्टा लोवेलिका को कहा जाता ह। इसके आने से बहुत ही आसानी से आदमी घर बैठे कुछ बजी कम कर लेते था
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मे एक कंप्यूटर हों. मुज़े छीना की एक फॅक्टरी मे बनाया गिया था और मुज़े डिज़ाइन अमेरिका के शहर लॉस आंजल्स मे किया गिया.
फॅक्टरी मे से निकालने के बाद मुज़े इंडिया के सहेर मुंबई भेज दिया गिया जहाँ मे एक दुकान मे बरी डेयर तक परा रहा. बोहट से लोग मुज़े हरूज़ देखने आते थे मगर मेरी कीमत बोहट ज़डा थी इसलिए ज़डा तार लोग मुज़े नही खरीदते थे.
आख़िर एक दिन, एक इंजिनियर दुकान मे आया और बोहट सूच समाज कर उसने मुज़े खरीद लिया.
फिर मे उसके ऑफीस के डेस्क पेर रहने लगा. और उसके काम मे उसका बोहट सात दिया.
मे उसके डंडे का बोहट ही आहें हिसा बन चुका हों
उसका काम मेरे बेघार नही चल सकता. वो अपने सार प्लॅन्स मेरे उपर तयार करता हे और क्लाइंट्स को देखता हे. मेरे सात वो ए मैल भेजता हे और पूरी दूण्या मे सब से बातयन करता हे.
मयने उसका एक साल साथ दिया पेर मेरी जगा ऐस्ता ऐस्ता उसका स्मार्ट फोन लेयने लगा.
अब वो ज़डा तार बातयन अपने स्मार्ट फिने पेर ही करता था और बस तोरा तोरा काम ही मेरे उपर करता था.
आज कल स्मार्ट फोन बोहट तेज़ हों गये हैं. बालके नही फोन की तो राम भी मेरे से ज़डा हे.
दिन बा दिन, मेरा इस्तीमल कम होता जा रहा हे और मुज़े दर हे के यह इंजिनियर का तो मुज़े कहीं बेच आए गा, या मुज़े कचरे मे फेंक दे जा.
पेर मुज़े पता हे, मे अभी भी कमाल की चीज़ हों जो बोहट से लोगों की मदाद कर सकता हे
फॅक्टरी मे से निकालने के बाद मुज़े इंडिया के सहेर मुंबई भेज दिया गिया जहाँ मे एक दुकान मे बरी डेयर तक परा रहा. बोहट से लोग मुज़े हरूज़ देखने आते थे मगर मेरी कीमत बोहट ज़डा थी इसलिए ज़डा तार लोग मुज़े नही खरीदते थे.
आख़िर एक दिन, एक इंजिनियर दुकान मे आया और बोहट सूच समाज कर उसने मुज़े खरीद लिया.
फिर मे उसके ऑफीस के डेस्क पेर रहने लगा. और उसके काम मे उसका बोहट सात दिया.
मे उसके डंडे का बोहट ही आहें हिसा बन चुका हों
उसका काम मेरे बेघार नही चल सकता. वो अपने सार प्लॅन्स मेरे उपर तयार करता हे और क्लाइंट्स को देखता हे. मेरे सात वो ए मैल भेजता हे और पूरी दूण्या मे सब से बातयन करता हे.
मयने उसका एक साल साथ दिया पेर मेरी जगा ऐस्ता ऐस्ता उसका स्मार्ट फोन लेयने लगा.
अब वो ज़डा तार बातयन अपने स्मार्ट फिने पेर ही करता था और बस तोरा तोरा काम ही मेरे उपर करता था.
आज कल स्मार्ट फोन बोहट तेज़ हों गये हैं. बालके नही फोन की तो राम भी मेरे से ज़डा हे.
दिन बा दिन, मेरा इस्तीमल कम होता जा रहा हे और मुज़े दर हे के यह इंजिनियर का तो मुज़े कहीं बेच आए गा, या मुज़े कचरे मे फेंक दे जा.
पेर मुज़े पता हे, मे अभी भी कमाल की चीज़ हों जो बोहट से लोगों की मदाद कर सकता हे
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