Hindi, asked by wadewilson7867, 11 months ago

कमलम अरुढा का समास विग्रह

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Answered by Umar1324
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समास

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9/29/16

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समास

परिभाषा : 'समास' शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है 'छोटा रूप'। अतः जब दो या दो से अधिक शब्द (पद) अपने बीच की विभक्तियों का लोप कर जो छोटा रूप बनाते है, उसे समास, सामाजिक शब्द या समस्त पद कहते है।

जैस : 'रसोई के लिए घर' शब्दों में से 'के लिए' विभक्त का लोप करने पर नया शब्द बना 'रसोई घर', जो एक सामासिक शब्द है।

किसी समस्त पद या सामासिक शब्द को उसके विभिन्न पदों एवं विभक्ति सहित पृथक् करने की क्रिया को समास का विग्रह कहते है।

जैसे : विद्यालय = विद्या के लिए आलय, माता पिता = माता और पिता

समास के प्रकार :

समास छः प्रकार के होते है-

1. अव्ययीभाव समास

2. तत्पुरुष समास

3. द्वन्द्व समास

4. बहुब्रीहि समास

5. द्विगु समास

6. कर्म धारय समास

1. अव्ययीभाव समास :

(A). पहला पद प्रधान होता है।

(B). पहला पद या पूरा पद अव्यय होता है। (वे शब्द जो लिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार नही बदलते, उन्हें अव्यय कहते हैं)

(C). यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयुक्त हो, वहाँ भी अव्ययीभाव समास होता है।

(D). संस्कृत के उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास होते है।

समास

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समास

परिभाषा : 'समास' शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है 'छोटा रूप'। अतः जब दो या दो से अधिक शब्द (पद) अपने बीच की विभक्तियों का लोप कर जो छोटा रूप बनाते है, उसे समास, सामाजिक शब्द या समस्त पद कहते है।

जैस : 'रसोई के लिए घर' शब्दों में से 'के लिए' विभक्त का लोप करने पर नया शब्द बना 'रसोई घर', जो एक सामासिक शब्द है।

किसी समस्त पद या सामासिक शब्द को उसके विभिन्न पदों एवं विभक्ति सहित पृथक् करने की क्रिया को समास का विग्रह कहते है।

जैसे : विद्यालय = विद्या के लिए आलय, माता पिता = माता और पिता

समास के प्रकार :

समास छः प्रकार के होते है-

1. अव्ययीभाव समास

2. तत्पुरुष समास

3. द्वन्द्व समास

4. बहुब्रीहि समास

5. द्विगु समास

6. कर्म धारय समास

1. अव्ययीभाव समास :

(A). पहला पद प्रधान होता है।

(B). पहला पद या पूरा पद अव्यय होता है। (वे शब्द जो लिंग, वचन, कारक, काल के अनुसार नही बदलते, उन्हें अव्यय कहते हैं)

(C). यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयुक्त हो, वहाँ भी अव्ययीभाव समास होता है।

(D). संस्कृत के उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास होते है।

यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार

यथाक्रम = क्रम में अनुसार

यथावसर = अवसर के अनुसार

यथाशीघ्र = जितना शीघ्र हो

यथाविधि = विधि के अनुसार

यथेच्छा = इच्छा के अनुसार

प्रतिदिन = प्रत्येक दिन, दिन-दिन, हर दिन

प्रत्येक = हर एक, एक-एक, प्रति एक

प्रत्यक्ष = अक्षि के आगे

रातों-रात = रात ही रात में

बीचों-बीच = ठीक बिच में

आमरण = मरने तक, मरणपर्यंत

आसमुद्र = समुद्रपर्यन्त

भरपेट = पेट भरकर

अनुकूल = जैसा कूल है वैसा

यावज्जीवन = जीवन पर्यन्त

निर्विवाद = बिना विवाद के

दरअसल = असल में

बाकायदा = कायदे के अनुसार

साफ-साफ = साफ के बाद साफ, बिलकुल साफ

घर-घर = प्रत्येक घर, हर घर, किसी भी घर को न छोड़कर

हाथों-हाथ = एक हाथ से दूसरे हाथ तक, हाथ ही हाथ में

2. तत्पुरुष समास :

(A). तत्पुरुष समास में दूसरा पद (पर पद) प्रधान होता है अर्थात् विभक्ति का लिंग, वचन दूसरे पद के अनुसार होता है।

(B). इसका विग्रह करने पर कर्ता व सम्बोधन की विभक्तियों(ने,हे,ओ,अरे) के अतिरिक्त किसी भी कारक की विभक्त प्रयुक्त होती है तथा विभक्तियों के अनुसार ही इसके उपभेद होते है। जैसे-

(क). कर्म तत्पुरुष (को) :

कृष्णार्पण = कृष्ण को अर्पण

वन-गमन = वन को गमन

प्राप्तोदक = उदक को प्राप्त

नेत्र सुखद = नेत्रों को सुखद

जेब करता = जेब को कतरने वाला

(ख). करण तत्पुरुष (से/के द्वारा) :

ईश्वर-प्रदत्त = ईश्वर से प्रदत्त

तुलसीकृत = तुलसी द्वारा रचित

रत्न जड़ित = रत्नों से जड़ित

हस्त-लिखित = हस्त (हाथ) से लिखित

दयार्द्र = दया से आर्द्र

(ग). सम्प्रदान तत्पुरुष (के लिए) :

हवन-सामग्री = हवन के लिए सामग्री

गुरु-दक्षिणा = गुरु के लिए दक्षिणा

विद्यालय = विद्या के लिए आलय

बलि पशु = बलि के लिए पशु

Okay

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