कमर तोड़ महंगाई पर निबंध लिखो
४०० शब्दों में ।
कहावत सहित ।
Answers
कमर तोड़ महंगाई का अर्थ होता है कि जितना सोचा न जाय उतनी महंगाई करना।
Explanation:
भारत की अनेको समस्याओ में आर्थिक समस्या यानि महंगाई की समस्या प्रमुख है एक दर से बढ़ने वाली महंगाई को आम जनता किसी न किसी तरीके से सह लेंगी लेकिन कुछ समय से खाद्यान और कई उपभोक्ता वस्तुओ के मूल्यों में भरी वृद्धि ने उप कर दिया है।
महंगाई तो दिन प्रतिदिन बढती रहती है कभी पैट्रोल डीजल के भाव कब्जी सब्जियों के अनसुने भाव का बढ़ना पैट्रोल अब देखने को मिल रहा है कि कितना भाव बढ़ा हुआ है ज्यादा जगह भी ऐसे मिलेंगे की जहा आने जाने का किराया भी बहुत होगा तो इसी को कमर तोड़ महंगाई कहते है कि जहा जितना सोचा न गया उतनी महंगाई का होना। और फिर ये देखने को मिलता है कि लोग महंगाई कम करने के लिए सड़कों पर धरना देकर बैठ जाते है आंदोलन करते है ताकि महंगाई कम करने के लिए। जैसे। अब किसान आंदोलन है यहाँ किसान अपने हिसाब से अनाज का भाव तय करवाना चाहते है आंदोलन करके बैठ गये लेकिन सरकार को अगर ये लगता है कि इनके आंदोलन वाज़ीफ है तो वे समझौता या संधि कर्जे उनके आंदोलन को मान्यता दे देता है और सरकार से अपील करन गलत भी नही है । क्योंकि हमें ये अधिकार है हम अपनी बात सरकार के सामने रख सकते है । महंगाई के इस ज़माने में दाम को कम करवाना कोई बड़ी बात नही है।
इसपर एक कहावत है कि ' क्या लिखूं महंगाई पर तनख्वाह का कुछ रुपया राशन में गया, कुछ खर्च हुआ दवा पर, थोड़ा बहुत लेन देन हुआ, बाकि खर्च हो गया बच्चो की पढाई पर और मोहताज़ हो गया आदमी फिर से पाई पाई पर '
आज के समय में पॉकेट में पैसो का बोझ बढ़ता जाता है और थैले में सामान कम होता जाता है। इस कमर तोड़ महंगाई न्र सबकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है इस समस्या को सुलझाना एक बड़ी समस्या है।