कमरी' थोरे दाम की, बहुतै आवै काम।
खासा मलमल वाफ्ता, उनकर राखै मान।।
उनकर राखै मान, बँद जहँ आड़े आवै।।
बकुचा बाँधे मोट, राति को झारि बिछावै।।
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उपर्युक्त पंक्तियों में गिरिधर कविराय जी कंबल की विशेषता बताते हुए कह रहे हैं कि कम कमरी का दाम बहुत ही कम होता है और हमारे बहुत से काम आती है, कमली हमारे कीमती कपड़ों जैसे खासा और मलमल की सुरक्षा करती है और उनका मान बना रखी है और यही कमली रात को हमें बिछाकर सोने के काम भी आती है।
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