kamartoad mahangai-samasya aur samadhan par nibandh
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अर्थशास्त्र में, , एक समयावधि मे किसी अर्थव्यवस्था में माल और सेवाओं के सामान्य मूल्य स्तर में निरंतर वृद्धि होने की स्थिति ही ,मुद्रास्फीति या महंगाई है। मूल्य स्तर बढ़ जाता है और मुद्रा की प्रत्येक इकाई में कम माल और सेवाओं को ही खरीदा जा सकता है। नतीजतन, महंगाई क्रय शक्ति में कमी को दर्शाता है। मुद्रास्फीति की दर है और मूल्य सूचकांक में वार्षिक प्रतिशत परिवर्तन के द्वारा महंगाई को मापा जाता है । अगर नकारात्मक प्रभाव की बात करे तो महंगाई के कारण प्रमुख वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी चालू हो जाती है। महंगाई का देश की अर्थव्यवस्था और देश के नागरिकों पर दुष्प्रभाव पड़ता है । महंगाई बढ्ने पर लोग अधिक से अधिक वस्तुएं खरीद कर उनका संचय करने लगते है जिससे कई दैनिक वस्तुओं के दाम आसमान छूने लगते है। महंगाई से समाज मे असन्तोष फैल जाता है। महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार और रिजर्ब बैंक उचित मौद्रिक नीतियाँ बनाते है । मुख्य रूप से ब्याज दर के द्वारा महंगाई नियंत्रित होती है। महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कालाबाजारी और जमाखोरी पर उचित कार्यवाही करनी चाहिए। जान साधारण में भी जागरूकता फैलानी चाहिए कि वस्तुओं का अतिरिक्त एवम् अनावश्यक भण्डारण न करे।