kamte ke tin staro ke niyam ko samjaiye
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समाजशास्त्र के जनक एवं प्रखर बौद्धक क्षमता के धनी ऑगस्त काम्टे का तीन स्तरों का नियम सामाजिक विचारधारा के क्षेत्र में ऑगस्त काॅम्टे का एक महत्वपूर्ण योगदान हैं। ऑगस्त काॅम्टे एक सामाजिक विज्ञान की स्थापना करना चाहते थे। सन् 1822 मे उन्होनें यह सिद्धांत प्रतिपादित किया था जब उनकी आयु मात्र 24 वर्ष की थी इस लेख मे हम ऑगस्त काॅम्टे के तीन स्तरों के नियम की व्याख्या करेंगे।
तीन स्तरों के नियम के सिद्धान्त की व्याख्या करते हुए ऑगस्त काॅम्टे ने लिखा है कि "हमारी प्रत्येक अवधारणाएं" हमारे ज्ञान की प्रत्येक शाखा एक के बाद एक तीन विभिन्न सैध्दान्तिक दशाओं से होकर जाती हैं-
1. आध्यात्मिक अथवा काल्पनिक
2. तात्विक अथवा गुणात्मक
3. वैज्ञानिक या सकारात्मक
इस प्रकार ऑगस्त काॅम्टे ने मानव मस्तिष्क और सामाजिक संगठन के विकास को तीन अवस्थाओं से होकर गुजार हैं।
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