Hindi, asked by munawwarali8273, 1 year ago

Kan kan adhikari hindi matter

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Answered by AbsorbingMan
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प्रिय छात्र

आपका सवाल अस्पष्ट है। ऐसा लगता है कि आपका प्रश्न अधूरा है या ठीक से नहीं पूछा गया है।

कृपया अपना प्रश्न दोबारा जांचें और तदनुसार स्पष्टीकरण दें

Answered by jayathakur3939
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कण - कण के अधिकारी

कण - कण के अधिकारी पाठ का कवि डॉ. रामधारि सिंह दिनकर है ।  इनकी कविता में वह कहते है कि एक मनुज धन  को पाप के बल से संचित करता है । दूसरा मनुज  धन को भाग्यवाद के छाल से संचित करता है । नर -  समाज का भाग्य एक ही होता है । वह है , मानव का  परिश्रम और उसकी भुजाओं की शक्ति । श्रमिक के  सम्मुख सारी धरती और आसमान झुके है । हमें  श्रम - जल देनेवालों को पीछे नहीं छोड़ना चाहिए ।

अर्थात नर और सुर सब विनीत झुके है ।  विजीत प्रकृति में श्रमिक को सुख पाने देना  चाहिए । सबसे पहले सुख पाने का अधिकार  श्रमिकों को है । जो कुछ धन प्रकृति में न्यस्त है  वही मनुज मात्र का धन है । ओ ! धर्मराज उसका  कण - कण का अधिकारी ये प्रजा , मनुष्य है ।

ये सब बाते धर्मराज सुन रहे है । ये सब बाते  भीष्म पितामह धर्मराज से बोल रहे है ।

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