कन-कन जोरे मन जरै खाते निबरै सोय dohe meaning?
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कन-कन जोरे मन जरै खाते निबरै सोय का अर्थ है कि एक एक कण इकट्ठा करने से मण इकट्ठा हो जाता है तथा खर्च करने से एक कण भी नहीं बचता ।
- ये कविता की पंक्तियों वृंद से ली गई है। कवि कहता है कि हम एक एक कण जोड़कर एक मन जोड़ लेते है लेकिन यदि खर्च करेंगे तो एक कुछ भी नहीं बचता।
- कवि हमें समझाना चाहते है कि बूंद बूंद से सागर भरता है हम पाई पाई जोड़कर बहुत कुछ बना लेते है।
- हमने बचपन से प्यासे कौवे की कहानी सुनी है, कौवे ने घड़े में पत्थर डाल डाल कर थोड़े से पानी से भी अपनी प्यास बुझा ली।
- कवि हमें समझाना चाहते है कि हमे व्यर्थ कुछ भी खर्च नहीं करना है नहीं तो अंत में हमारे पास एक कण भी नहीं बचता।
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भावार्थ
कन कन जोरै मन जुरै खातै निवारै सोय ।
बूंद बूंद ज्यौं घट भरे टपकत बोतै तोय ।।
- कवि वृदं कहते हैं कि एक-एक कण जोड़ने से मण इकट्ठा हो जाता है और खर्च करने से एक कण भी नहीं रह पाता है । जिस प्रकार घडा़ एक एक बूंद करके भर जाता है और बूंद-बूंद टपकने से वह खाली हो जाता है।
- कंन कन का अर्थ - कण कण
- जोरै का अर्थ - जोड़ने से, इकट्ठा करने से है।
- मन अर्थात - पुराने समय का ठोस नापने का पैमाना 40 किलो का मन माना जाता है।
- जुरै का अर्थ - इकट्ठा हो जाना है।
- खातै से तात्पर्य है – खाने से, खर्च करने से।
- निबरै का अर्थ - उबरना , खर्च हो जाना, खत्म हो जाना , दुबला, निपट जाना।
- सोय का अर्थ है कि- वह , सो।
- कहा जाता है कि बूंद बूंद से भरे सरोवर। इसी प्रकार कण कण से मनों इकट्ठा होता है और खाने से खत्म (खर्च) हो जाता है निपट जाता है।
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