कन्या के साथ दान की बात करना कहा तक उचित है
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Answer: Here it is
Explanation:
मेरी दृष्टि में कन्या के सामने कन्यादान की बात करना बिलकुल भी उचित नहीं है क्योंकि कन्या कोई वास्तु नहीं है जिसका दान किया जाए ।
समाज में बहुत से भ्रम फैले हुए है, उसी मे एक है कन्या दान, जरा सोचिये क्या कोई कन्या का दान दे सकता है ? कन्या कोई दान देने की वस्तु हो सकती है ? फिर कन्या दान शब्द का प्रचलन क्यो चल रहा है ! माता – पिता बच्चो को जन्म दे सकते है उसका पालनपोषण कर सकते है लेकिन उसको मार नही सकते और न दान दे सकते है |अधिकार जरूर कम-ज्यादा हो सकता है |
कन्या के विवाह की चिंता की जाती है, उचित वर ढूढे जाते है , अपनी क्षमतानुसारउचित वर ढूढ कर विवाह किया जाता है | कन्या के साथ कुछ नगद व समान उपहार दिए जाते है | जिसको दे कर भुला दिया जाता है, उस “दान” [उपहार] के साथ कोई सम्बंध नही रखा जाता है | लेकिन कन्या को कभी नही भुलाया जाता है। विवाह के बाद भी उस कन्या से सम्बंध रखे जाते है, उसके दुख-सुख के साथ सम्बंध भी आजीवन रखे जाते है |
क्या विवाह धूम धाम के साथ अपने प्रिय जनो निकट जनो को बतलाकर ,आमन्त्रित करके नही किया जाता ? अगर धोखे से ससुराल मे कन्या का उत्पीड़न हो ,तो क्या कन्या के अभिभावक जन दुखी नही होते ? जब की दान दी हुई वस्तु का दुरुपयोग होने पर भी चिंता भी नही की जाती उसको अनदेखा भी कर दिया जाता है | जब की कन्या के उत्पीड़न होने पर उसके अभिभावक जन जी-जान से उसके साथ संघर्ष मे साथ भी देते है |
हालाँकि कन्यादान भारत की एक प्राचीन परम्परा रही है लेकिन हमरे लिए यह बहुत जरुरी है कि हम ऐसी गलत परम्पराओं को खत्म करें। आधुनिक युग में लड़के और लड़कियाँ सब को एक सामान समझा जाता है तो अब हमें ये पुराणी परम्पराएं ख़त्म करनी चाहिए ।
( इसलिए कन्या दान शब्द , मानसिकता को छोड़ना ही ज्यादा बुद्धिमानी कहलाई जायेगी )