कन्यादान कविता के आधार पर बताइए कि वर्तमान समाज में स्त्रियों की क्या स्थिति है उसे स्थिति को सुधारने बिगाड़ने का दायित्व में समाज के किस वर्ग पर है स्पष्ट कीजिए
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➲ ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर हम पाएंगे कि वर्तमान समाज में स्त्रियों की स्थिति अच्छी नहीं है। आज भी हमारे समाज में स्त्रियों को प्रताड़ित किया जाता है। दहेज की प्रथा का प्रचलन कम तो हुआ है लेकिन यह प्रथा पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैय़ ग्रामीण अंचलों और छोटे-छोटे शहरों में यह प्रथा आज भी प्रचलन में है। आज भी दहेज के नाम पर स्त्रियों का शोषण किया जाता है, उन्हें प्रताड़ित किया जाता है।
स्त्रियों को अनेक तरह के बंधनों में बांधा जाता है। उन पर अनेक तरह की बंदिशें लगाई जाती हैं। लड़कियों को यह कपड़े पहनना चाहिए, लड़कियों को यहाँ नहीं जाना चाहिए, वहाँ नहीं जाना चाहिए। उन्हें कौन से समय पर कौन सा कार्य करना चाहिए, इस तरह की तमाम बंदिशें लगाई जाती हैं।
स्त्रियों की स्थिति को सुधारने बिगड़ने का दायित्व समाज के हर वर्ग का होता है, लेकिन विशेषकर का पुरुष वर्ग का दायित्व अधिक है। क्योंकि पुरुष वर्ग ने ही स्त्री की स्थिति को बिगाड़ा है और उसे संवारने के लिए पुरुष वर्ग को बड़ी पहल करनी होगी।
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कन्यादान कविता के आधार पर बताइए कि वर्तमान समाज में स्त्रियों की क्या स्थिति है उसे स्थिति को सुधारने बिगाड़ने का दायित्व में समाज के किस वर्ग पर है स्पष्ट कीजिए
वर्तमान समाज में स्त्रियों की क्या स्थिति है उसे स्थिति को सुधारने का दायित्व में समाज में रहने वाले हर नागरिक की जिम्मेदारी है और बिगाड़ने के लिए भी समाज में रहने वाले लोगों की सोच है |
व्याख्या :
आज के समय में समाज में रहने वाले लोग ही अपने हिसाब से नियम बनाते है | समाज में रहने वाले लोग अपनी सोच को बदलना नहीं चाहते है | अपनी छोटी सोच के साथ स्त्रियों के साथ अन्याय करते है | उन्हें आगे बढ़ने से से रोकते है | उन्हें हर छोटी-छोटी बातों पर सफाई देनी पड़ती है | छोटी सोच के साथ कभी स्त्रियों को दशा नहीं सुधर सकती |
स्त्रियों की दशा को सधारने के लिए समाज ही साथ दे सकता है | यदि समाज में रहने वाले लोग नई सोच रखेंगे , तो स्त्रियाँ अपना जीवन आज़ादी से व्यतीत कर सकती है | वह अपने सपनों को पूरा कर सकती है | हमें अपनी सोच को बदलना होगा और स्त्रियों को आगे बढ़ने की हिम्मत देनी होगी |