'कन्यादान' कविता के आधार पर लड़की में विशषता
थी-
(0 लड़की sundar thi(ii) bholi और मासूम थी।
(m) माता-पिता के बताए मार्ग पर चलती थी।
(iv) इनमें से सभी
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ऋतुराज जी की कविता 'कन्यादान' में माँ बेटी को यह सीख देती है कि लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई न देना अर्थात वह अपनी बेटी को अबला या कमज़ोर न बनने की सीख दे रही है। यह समाज लड़की को दुर्बल मानकर उसका शोषण करने लगता है। ... अतः मां उसे सशक्त व मज़बूत बनाना चाहती है।
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