कन्यादान कविता में आधुनिक नारी जीवन की किन समस्याओं की ओर कवी ने संकेत किया है ? स्पष्ट करें? क्या कन्या के साथ 'दान' की बात करना उचित है?
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class 10th
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Explanation:
जिस प्रकार मनुष्य शब्दों के भ्रम जाल में बँधा रहता है, ठीक उसी प्रकार स्त्री का जीवन कपड़े और गहनों के आधार पर संबंध में में बँधा रहता है
।माँ बेटी को सीख देती है कि लड़कियों जैसी दुर्बलता, कमजोरी और स्त्री के लिए निर्धारित परम्परागत आदर्शों को न अपनाए।
उसे हमेशा सजग तथा सचेत रहकर जीवन में आने वाली हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
लड़की जैसे गुण, संस्कार तो हों लेकिन लड़की जैसी निरीहता कमजोरी नहीं अपनानी है।
उसे हर स्थिति का साहस पूर्ण मुकाबला करना है।
सामाजिक व्यवस्था के तहत स्त्रियों के प्रति जो आचरण किया जा रहा है उसी के संबंध में माँ अपनी बेटी को समझा रही है।
आग पर रोटियाँ सेंकी जाती है, उससे अपने शरीर को जलाया नहीं जाता है।
मां बेटी को सचेत करते हुए कहती है कि अन्य बहुओं की तरह वह आग का शिकार न बन जाए, प्रत्येक अत्याचार के लिए सचेत रहे ।
आजकल ससुराल में लड़कियाँ जला दी जाती हैं या जल जाती हैं, उसी ओर संकेत हैं।