कन्यादान कविता में बेटी को अंतिम पूंजी क्यों कहा गया है
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कन्यादान कविता में बेटी को अंतिम पूंजी क्यों कहा गया है
कन्यादान कविता में बेटी को अंतिम पूंजी इसलिए कहा क्योंकि जब माँ अपने बेटी को विदाई के समय किसी और के हाथों में सौंपती है , तब माँ को अहसास होता है कि मैं अपनी अंतिम पूंजी दे रही हूँ | माँ को अपनी बेटी से बहुत प्यार करती थी |
व्याख्या :
कन्यादान कविता कवि ऋतुराज द्वारा लिखी गई है | कवि ने कविता में माँ और बेटी के प्यार को दर्शाया है | बेटी की विदाई के समय में माँ बहुत दुःख होता है , बेटी ही माँ की सबसे करीबी होती है | उसके सुख-दुःख में हमेशा उसका साथ देती थी | इसी कारण उसे अपनी बेटी को अंतिम पूँजी कहा गया है |
Answer:
कविता 'कन्यादान' में बेटी को ‘अतिम पूँजी' इसलिए कहा है क्योंकि माँ उसको ससुराल भेजने के बाद अकेली हो जाएगी। बेटी ही अब तक उसके सुख-दुख को साथी थी, उसके जीवन भर की कमाई थी। उसे उसने बड़े नाज़ों से पाल-पोस कर सभी सुख-दुख सहकर बड़ा किया था और अब अपनी जीवन भर की पूंजी वह दूसरों को सौंपने जा रही थी। उसे विदा करने के बाद वह मानसिक रूप से अकेली होने जा रही थी।