कन्यादान कवि ता मेंकि सके सखु की बात की गई हैऔर क्यों?
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कवि 'क्रतुराज जी द्वारा रचित कविता 'कन्यादान' में उस माँ के दुख की बात की गई है, जो अपने प्राणों से प्रिय पुत्री का 'कन्यादान' अर्थात विवाह करने जा रही है, अपने से दूर करने जा रही है। बेटी माँ की पूँजी होती है, उसकी सुख-दुख की साथी होती है। उसके चले जाने के बाद माँ एकदम अकेली हो जाती है।
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