‘कन्यादान’ कविता में, माँ की मूल चिंता क्या है?
Answers
“कन्यादान” कविता ‘ऋतुराज’ द्वारा लिखी गई कविता है। इस कविता में मां की मूल चिंता अपनी बेटी के भविष्य को सुखी व सुरक्षित बनाने की है।
Explanations:
मां जानती है कि उसकी बेटी स्वभाव की सीधी और सरल तथा एकदम भोली भाली है। वह लोक व्यवहार से अनजान है। मां अपने जीवन में प्राप्त अनुभवों के आधार पर अपनी बेटी को समय के अनुकूल आचरण करने तथा व्यवहारिक शिक्षाएं देने की कोशिश करती है। वह अपनी बेटी को सीख देती है कि वह अपनी सुंदरता पर बहुत ज्यादा अभिमान ना करें, मुग्ध ना हो। वह सदैव आत्महत्या के विचार से दूर रहे। माँ अपनी बेटी को वस्त्र और आभूषणों के मोह-माया से दूर रहने की सीख देती है और तड़क-भड़क से बचने का उपदेश देती है। वह अपनी लड़की को लड़की होकर भी लड़की जैसी ना दिखाई देने की कोशिश करती है। यह सब बातें मां की अपनी बेटी के प्रति चिंता को ही दर्शाती हैं।
Answer:
दुख बाँचना का अर्थ हैः दुख को पढ़ना नहीं आता था। ... माता-पिता ने उसे दुख से दूर ही रखा था।