कन्यादान कविता में समाज की कुरीतियों की मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है। स्पष्ट करें।
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"वल्यादान" कविता 'ऋतुराज' द्वारा लिखी गई कविता है । इस कविता में मां कीं मूल चिंता अपनी बेटी के भविष्य को सुखी व सुरक्षित बनाने की है ।
भिणाखिराबाँछिमश
मां जानती है कि उसकी बेटी स्वभाव कीं सीधी और सरल तथा एकदम भोली भाली है । वह लोक व्यवहार से अनजान है । मां अपने जीवन में प्राप्त अनुभवों के आधार पर अपनी बेटी को समय के अनुकूल आचरण करने तथा व्यवहारिक शिक्षाएं देने क्री कोशिश करती हे । वह अपनी बेटी को सीख देती हे कि वह अपनी सुंदरता पर बहुत ज्यादा अभिमान ना करें, मुग्ध ना हो । वह सदैव आत्महत्या के विचार सै दूर रहे । माँ अपनी बेटी को वस्त्र और आभूषणों के मोह माया से दूर रहने कीं सीख देती है और तड़क भड़क सै बचने का उपदेश देती है । वह अपनी लड़क्री को लड़कीं होकर भी लड़क्री जेसं ना दिखाई देने की कोशिश काती है । यह सब बातें मां कीं अपनी बेटी के प्रति चिंता को ही दर्शाती हैँ ।
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