Chemistry, asked by Anonymous, 4 months ago

कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को शाब्दिक भ्रम क्यों कहा गया है​

Answers

Answered by amankatiyar362
0

Answer:

कन्यादान कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि स्त्रियाँ सुंदर वस्त्र व सुंदर आभूषणों के चमक व लालच में भ्रमित होकर आसानी से अपनी आजादी खो देती हैं और मानसिक रूप से हर बंधन स्वीकारते हुए जुल्मों का शिकार होती हैं।

जिस प्रकार मनुष्य शब्दों के भ्रम जाल में बँधा रहता है, ठीक उसी प्रकार स्त्री का जीवन कपड़े और गहनों के आधार पर संबंध में में बँधा रहता है।

माँ बेटी को सीख देती है कि लड़कियों जैसी दुर्बलता, कमजोरी और स्त्री के लिए निर्धारित परम्परागत आदर्शों को न अपनाए। उसे हमेशा सजग तथा सचेत रहकर जीवन में आने वाली हर स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। लड़की जैसे गुण, संस्कार तो हों लेकिन लड़की जैसी निरीहता कमजोरी नहीं अपनानी है। उसे हर स्थिति का साहस पूर्ण मुकाबला करना है।

सामाजिक व्यवस्था के तहत स्त्रियों के प्रति जो आचरण किया जा रहा है उसी के संबंध में माँ अपनी बेटी को समझा रही है। आग पर रोटियाँ सेंकी जाती है, उससे अपने शरीर को जलाया नहीं जाता है। मां बेटी को सचेत करते हुए कहती है कि अन्य बहुओं की तरह वह आग का शिकार न बन जाए, प्रत्येक अत्याचार के लिए सचेत रहे ।आजकल ससुराल में लड़कियाँ जला दी जाती हैं या जल जाती हैं, उसी ओर संकेत हैं।

#SPJ2

Explanation:

Similar questions