Hindi, asked by apadmaashanker, 5 months ago

कण कण के अधिकारी पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखो​

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Answered by anshikaanshika393
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कण कण के अधिकारी

पाठ का सारांश

सारांश प्रस्तुत कविता में भीष्म पितामह, कुरुक्षेत्र युद्ध से विचलित धर्मराज को आधुनिक समस्याओं के बारे में उपदेश देते हुए कहते हैं कि है धर्मराज । एक मनुष्य पाप के बल से धन इकटठा करता । तो दूसरा उसे भाग्यवाद के छल से भोगता है। मानव समाज का एक मात्र आधार या भाग्य श्रम और भुजवल है। जिसके सामने पृथ्वी और आकाश दोनों झुक जाते हैं।

इसलिए जो परिश्रम करता है, उसे दुखों से कभी तड़ित नहीं करना चाहिए। जो पसीना बहाकर प्रेम करता है, उसी को पहले सुख पाने का पूरा अधिकार है । याने मेहनत करनेवालों को सदा आगे रहकर सुख पाना चाहिए। प्रकृति में जो भी वस्तु है. वह मानव मात्र की संपत्ति है। प्रकृति के ऋण-कण का अधिकारी जन-जन है। अर्थात जो श्रम करता है, वही कण-कण का अधिकारी है।

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