कण्ठमाला के लक्षण को अपने शब्दों में लिखिए
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Explanation:
कंठमाला लसीका ग्रंथियों का एक चिरकारी रोग (chronic disease) है। इसमें गले की ग्रंथियाँ बढ़ जाती हैं और उनकी माला सी बन जाती है इसलिए उसे कंठमाला कहते हैं। आयुर्वेद में इसका वर्णन 'गंडमाला' तथा 'अपची' दो नाम से उपलब्ध है, जिन्हें कंठमाला के दो भेद या दो अवस्थाएँ भी कह सकते हैं।
छोटी बेर, बड़ी बेर या आँवले के प्रमाण की गाँठें (गंड) गले में हो जाती हैं जो माला का रूप धारण कर लेती है उन्हें गंडमाला कहते हैं। परंतु यह क्षेय है और इसका स्थान केवल ग्रीवा प्रदेश ही नहीं है अपितु शरीर के अन्य भागों में भी, जैसे कक्ष, वक्ष आदि स्थानों में ग्रंथियों के साथ ही इसका प्रादुर्भाव या विकास हो सकता है। गाँठों की शृंखला या माला होने के कारण इसे गंडमाला कहते हैं। ज्ञातव्य है कि मामूली प्रतिश्याय (जुकाम), व्रण इत्यादि कारणों से भी ये ग्रंथियाँ विकृत होकर बढ़ जाती हैं परंतु माला नहीं बन पाती हैं अत: इनका अंतर्भाव इसमें नहीं होता।
कण्ठमाला के लक्षण : कण्ठमाला के लक्षण आमतौर पर साधारण नही होते है। यह हम महसूस कर सकते है, कण्ठमाला के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के दो से तीन सप्ताह के भीतर दिखाई देते हैं। कण्ठमाला रोग के सबसे आम लक्षण हैं। कण्ठमाला में फ़्लू, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकान, और निम्न श्रेणी का बुखार, निगलते और चबाते समय दर्द और उदर क्षेत्र के पास हल्का दर्द। एक या दोनों पैरोटिड ग्रंथियों में दर्द के साथ सूजन यह सब दिखाई देते है।
कण्ठमाला यह रोग एक वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से आपके कानों के पास स्थित लार उत्पादक "लार" ग्रंथियों को प्रभावित करता है। कण्ठमाला इन दोनों ग्रंथियों में से एक या दोनों में सूजन पैदा कर सकता है। यह जानकारी सामने आई है की संयुक्त राज्य अमेरिका में कण्ठमाला आम था जब तक कि कण्ठमाला टीकाकरण नियमित नहीं हो गया। तब से, मामलों की संख्या में नाटकीय रूप से गिरावट आई है। कण्ठमाला की जटिलताओं को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे अच्छा तरीका है।