कणटकेनैव कणटकम्
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class 8 sanskrit
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Answer:
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Explanation:
एक गांव में चंचल नाम का एक व्यक्ति रहता था। वह शिकार करके अपना जीवन यापन करता था। एक बार चंचल ने जाल बिछाया और वह घर चला गया। जब वो जंगल में वापस आया तो उसने देखा कि उसके जाल में एक बाघ फंस गया है। वह बाघ चंचल से विनती कर रहा था कि वह उसे बाहर निकले। बाघ ने कहा कि यदि तुम मुझे इस जाल से बाहर लाओगे तो में तुम्हे नहीं खाऊंगा। यह सुनकर चंचल ने बाघ को बाहर निकाल लिया। बाहर आकर बाघ ने चंचल से कहा कि मुझे प्यास लगी है, मेरे लिए नदी से पानी ला दो। चंचल नदी से पानी लाया और बाघ की प्यास बुझ गई। फिर बाघ ने कहा कि मुझे अब भूख लगी है, अब ने तुम्हे खाऊंगा। यह सुनकर चचल बोला कि में तुम्हारी मदद की है और तुम मुझे ही खाना चाहते हो। फिर चंचल ने नदी को यह सब बताया। यह सब सुनकर नदी बोली कि सब लोग मुझे गंदा करते रहते हैं क्यूंकि सब मुझे अपने फायदे के लिए ही उपयोग करते हैं। चंचल ने यह पेड़ से पूछा तो पेड़ बोला कि मनुष्य मेरे फल खाता है, मेरी छाऊं में रहता है और बाद में मुझे ही कुल्हाड़ी से बार बार कष्ट देता है। पेड़ ने भी कहा कि सब अपने फायदे के लिए ही उपयोग करते हैं। यह सब झाड़ी के पीछे से एक लोमड़ी ने सुना तो वह चंचल और बाघ के सामने आ गई। चंचल ने उसे सब बताया तो वह बाघ को बोली की वह कैसे भरोसा करे को बाघ जाल में फशा था। यह सुनकर बाघ फिर से जाल के अंदर चला गया और उसी समय चंचल ने उसे जाल में बंद कर दिया।