कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौराए नर, वा पाए बौराय।
अनुप्रास अलंकार
अतिशयोक्ति अलंकार
मानवीकरण अलंकार
यमक अलंकार
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इसमें यमक अलंकार है।
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कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय । या खाए बौराए जग , वा पाए बौराए।। प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा अलंकार है ?
- क ) अनुप्रास अलंकार
- ख ) अतिशयोक्ति अलंकार
- ग ) मानवीकरण अलंकार
- घ ) यमक अलंकार ✔️
- यमक अलंकार
जिस काव्य में समान शब्द के अलग-अलग अर्थों में आवृत्ति हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। यानी जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे।
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौराए जग , वा पाए बौराए।।
इस पद्य में ‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। प्रथम कनक का अर्थ ‘सोना’ और दूसरे कनक का अर्थ-धतूरा है। अतः; ‘कनक’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार है।
ध्यान दें :-
इस पद्य में ‘बौराए’ शब्द का प्रयोग भी दो बार हुआ है परंतु दोनों में अर्थ समान है।
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