कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय। ये खाए बौरात हैं वे पाए बौराय॥` दोहे में `कनक` शब्द एक अर्थ सोना है, इसका दूसरा अर्थ क्या हैं? A. खून B. विष C. धतूरा D. शरा hmmmm
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उपरोक्त पंक्तियाँ " कनक कनक ते सौ गुणी,मादकता अघिकाय ; एक खाए बौराय,एक पाए बौराय!"
उपरोक्त पंक्तियों का यह अर्थ है, कि कनक है सोना में, कनक, अर्थात धतूरा से कहीं ज्यादा उन्माद होता है।
इसमें एक ही शब्द का प्रयोग दो बार किया गया है। लेकिन उन दोनों शब्दों के अर्थ अलग- अलग हैं।
कनक : सोना
कनक : धतूरा
उपरोक्त पंक्तियाँ में यमक अलंकार है |
यमक शब्दालंकार की परिभाषा- जहाँ एक शब्द की एक बार आवृत्ति हो, परन्तु अर्थ अलग-अलग निकलता हो, वहाँ यमक अलंकार होता हैं। अर्थात् जब एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार भिन्न हो तो वहाँ यमक अलंकार होता है।
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भरपेट।
(4) कृति पूर्ण कीजिए :
पराधीन जो जन नहीं, स्वर्ग नरक ता हेत।
पराधीन जो जन नहीं, स्वर्ग नरक ता हेत।
| अलंकार का प्रकार -
अलंकार का उपप्रकार -
Answer:
C धतूरा
Explanation:
it is right answer