'कनक-तीलियो.......टूट जाएँगे'- पंक्ति से कवि क्या स्पष्ट करना चाहते हैं?
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कवि यह कहना चाहता हैं कि पक्षी खुले आकाश में उड़ने के लिए बने हैं पिंजरे में बंद होने के लिए नहीं ।पक्षी कहते हैं कि पिंजरे से बाहर आने की चाह में वे तेजी से उड़गे ओर उनके पंख पिंजरे से टकराकर टूट जाएगे।
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