Kanya bhrun hatya Essay in hindi for UPSC
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कन्या भ्रूण हत्या क्या है
अल्ट्रासाउंड स्कैन जैसी लिंग परीक्षण जाँच के बाद जन्म से पहले माँ के गर्भ से लड़की के भ्रूण को समाप्त करने के लिये गर्भपात की प्रक्रिया को कन्या भ्रूण हत्या कहते हैं। कन्या भ्रूण या कोई भी लिंग परीक्षण भारत में गैर-कानूनी है। ये उन अभिवावकों के लिये शर्म की बात है जो सिर्फ बालक शिशु ही चाहते हैं साथ ही इसके लिये चिकित्सक भी खासतौर से गर्भपात कराने में मदद करते हैं।
कन्या भ्रूण हत्या के कारण
कन्या भ्रूण हत्या शताब्दियों से चला आ रहा है, खासतौर से उन परिवारों में जो केवल लड़का ही चाहते हैं। इसके पीछे विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और भावनात्मक कारण भी है। अब समय बहुत बदल चुका है हालांकि, विभिन्न कारण और मान्यताएं कुछ परिवार में आज भी जारी है।
कन्या भ्रूण हत्या के कुछ मुख्य कारण हैं:
आमतौर पर माता-पिता लड़की शिशु को टालते हैं क्योंकि उन्हें लड़की की शादी में दहेज़ के रुप में एक बड़ी कीमत चुकानी होती है।
ऐसी मान्यता है कि लड़कियां हमेशा उपभोक्ता होती हैं और लड़के उत्पादक होते हैं। अभिवावक समझते हैं कि लड़का उनके लिये जीवन भर कमायेगा और उनका ध्यान देगा जबकि लड़की की शादी होगी और चली जायेगी।
ऐसा मिथक है कि भविष्य में पुत्र ही परिवार का नाम आगे बढ़ायेगा जबकि लड़किया पति के घर के नाम को आगे बढ़ाती हैं।
अभिवावक और दादा-दादी समझते हैं कि पुत्र होने में ही सम्मान है जबकि लड़की होना शर्म की बात है।
परिवार की नयी बहु पर लड़के को जन्म देने का दबाव रहता और इसी वजह से लिंग परीक्षण के लिये उन्हें दबाव बनाया जाता है और लड़की होने पर जबरन गर्भपात कराया जाता है।
लड़की को बोझ समझने की एक मुख्य वजह लोगों की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी है।
विज्ञान में तकनीकी उन्नति और सार्थकता ने अभिवावकों के लिये इसको आसान बना दिया है।
Explanation:
हमारे देश में पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की कम होती संख्या चिंता का विषय है। घटता लिंगानुपात वर्तमान की एक ज्वलंत समस्या बन चुका है। इस समय स्त्रियों की कमी का मुख्य कारण ‘कन्या भ्रूण हत्या’ को माना जा रहा है। भारत की भौगोलिक स्थिति, यहां का सामाजिक ताना-बाना एवं जातीय व्यवस्था, धर्म में विभिन्नता इत्यादि कारकों को लिंगानुपात में अंतर के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता है ‘कन्या भ्रूण हत्या’ कोई समस्या नहीं बल्कि समाज में व्याप्त दहेज प्रथा तथा अन्य प्रकार की संकुचित सामाजिक सोच का परिणाम है। इस अभिशाप को जन्म देने में प्राय: कन्या के माता, पिता, दादा, दादी, नाना और नानी की सहमति शामिल होती है।