कपिलवस्तु में शुद्धोदन नाम के राजा राज करते थे।
था जो बाद में महात्मा बुद्ध के नाम से संसार में विख्यात हुए
जिस का नाम देवदत्त था। दोनों के स्वभाव में जमीन- आस
अत्यंत उदार तथा दयालु था, जबकि देवदत्त अत्यंत क्रूर तथा व्र
में खेल रहे थे। तभी आसमान में एक हंस उड़ता दिखाई दिया।
पर निशाना लगाया। हंस घायल होकर गिर पड़ा। घायल हंस
उसने उसके पंखों से तीर निकाला और घाव की मरहम-पट्टी
आया और हंस माँगने लगा। वह बोला, "मैंने उसे तीर से मार
है।" उसकी बात सुनकर सिद्धार्थ ने उत्तर दिया, "यह मेरा है,
(क) सिद्धार्थ और देवदत्त के पिता का क्या नाम था ?
(ख) सिद्धार्थ और देवदत्त के स्वभाव में क्या अंतर था ?
(ग) देवदत्त ने हंस पर अपना अधिकार क्यों बताया ?
(घ) सिद्धार्थ ने उस हंस को अपना क्यों कहा?
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