कर्बला की घटना की मूल संवेदना बतायें।
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कर्बला की घटना की मूल संवेदना बतायें।
हिंदी साहित्य में कर्बला की घटना का वर्णन मुंशी प्रेमचंद ने अपने ‘कर्बला’ नाटक के माध्यम से किया है। इस नाटक और घटना की मूल संवेदना यह है कि मुस्लिम धर्म में भी त्याग, समर्पण और शहादत की भावना को बताना था। इस घटना के माध्यम से यह भी सिद्ध होता है कि मुस्लिम धर्म में भी अनेक ऐसे सच्चरित्र महापुरुष में हुए हैं, जिन्होंने त्याग और समर्पण एवं न्याय को महत्व दिया।
इस घटना के माध्यम से यह बताने का प्रयत्न किया गया है कि तत्कालीन मुस्लिम समाज में जहाँ एक और अत्याचारी क्रूर शासक थे, तो वही इमाम हुसैन जैसे अन्याय, अत्याचार एवं आतंक के प्रति लड़ने वाले सच्चरित्र महापुरुष भी थे।
यह घटना इस्लाम धर्म के प्रवर्तक पैगंबर मोहम्मद साहब के नाती हजरत इमाम हुसैन के जीवन से संबंधित है। उन्होंने सीरिया के मुस्लिम शासक के हाथों मैदान-ए-कर्बला में अत्याचार एवं अन्याय से लड़ते हुए अपनी जान न्योछावर कर दी। कर्बला में इमाम हुसैन सत्य के लिए लड़े और अपने सामने खड़े यदीज और उनके साठ हजार से अधिक सैनिकों का मुकाबला करते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिए।
इस नाटक की मूल संवेदना प्रेम, समर्पण, त्याग और बलिदान की भावना को दिखाना है।